कहानी
"स्वाद आ गया....
बिरजू भैया.....अब छोले भटूरे में पहले जैसी बात नहीं रही.....ग्राहक ने आज फिर से बिरजू को पैसे देते हुए टोक ही दिया । बिरजू बस उस ग्राहक को दुकान से जाते हुए देख रहा था की उसे अपने स्वर्गीय पिता की बात याद आ रही थी....बेटा हमारी दुकानदारी स्वाद की है, याद रखना जिसदिन खाने में से स्वाद चला गया समझो दुकान की बरकत खत्म.....पहले पहले उसकी बनाएं छोले भटूरे की लोग प्रशंसा करते नहीं थकते थे ,दुकान पर भीड़ लगी रहती थी, मगर अब इक्का दुक्का लोग ही....बीते दिनों उसने देखा कि बाजार की गली में चलते फिरते एक चौदह पंद्रह साल का लड़का साइकिल पर कड़ाही में गर्मागर्म छोले भटूरे बेच रहा है उसके पास लोगों की भीड़ लगी हुई थी और उनमें कुछ लोग तो ऐसे भी थे जो कभी उसके परमानेंट ग्राहक हुआ करते थे ये देखकर बिरजू के तनबदन में आग लग गई अच्छा तो ये है मेरी दुकानदारी ठप्प करने वाला । तभी कहूं पहले तो लोग मेरे हाथों की बने छोले भटूरे की तारीफ करते थे मगर अब.... लेकिन लोगों की भीड़ देखकर बिरजू ने उस दिन चुप रहने में ही भलाई समझी ।बेकार में लोग उसपर हंसेंगे ,कहेंगे कि एक पिद्दी से लड़के से हार गया। मगर ऐसे में यह रोज का किस्सा बनता देखकर बिरजू ने एक दिन गुस्से में उस लड़के को जोर से डांट लगाई....अबे ओए ....भाग यहां से मेरी दुकान के आगे दिखाई दिया तो याद रखना अच्छा नहीं होगा....
बाबूजी....मे आपकी दुकान के आगे नहीं खड़ा होता, में तो चलते हुए....
चुप ....और उसने एक पुलिसकर्मी से उसकी शिकायत कर दी देखो साहब ये यहां खड़े होकर लोगों की भीड़ लगवा देता है बाद में किसी की जेब कटेगी तो आपको सुनने को मिलेगा...ये सुनकर पुलिसकर्मी ने भी उस लड़के को डांट लगाते हुए कहा वहां से निकल जाने को कहा.... इसके बाद वह लड़का बिरजू की दुकान के आसपास कम ही नजर आता था मगर अब भी ग्राहकों के मुंह से ये सुनने को मिलता देखकर बिरजू दुखी हो रहा था कि वह क्या करे कैसे लोगों को वहीं स्वाद वापस से छोले भटूरे में लाकर दे.... इसके लिए वह दो तीन कारीगरों को बदलकर भी देख चुका था ,मगर अब तक कोई फायदा नहीं हुआ था उसे रातों को नींद नहीं आती ।
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एक दिन सुबह सवेरे जाने कैसे उसकी आंख लग गई उसे अपने पिता दिखाई दिए .... बिरजू उसने रोते हुए कह रहा था... बाबूजी में आपकी दुकान नहीं चला पाया मेरे हाथों में पहले जैसा स्वाद नहीं रहा पता नहीं आप ने इतने सालों तक कैसे वहीं स्वाद को बरकरार रखा
पगले .... स्वाद क्या है....समर्पण प्यार और मेहनत....
मगर तू ना तो किसी चीज में समर्पित है ना प्यार कर रहा है और ना मेहनत...
नहीं बाबूजी मैं तो बराबर....
देख .... ऊपर वाले ने सबके पेट भरने का इंतजाम किया है और तू है की किसी गरीब बच्चे को परेशान कर रहा है बजाय अपने धंधे को अच्छे से चलाने के उससे ईर्ष्या कर उसके धंधे को बर्बाद करने मे लगा है बेटा मेहनत अपने काम में करनी होती है प्यार अपने काम से करना चाहिए और इसके लिए खुद को समर्पित करना होता है मगर तू बस दूसरे को दोषी बनाकर खुद बचना चाह रहा है तो हाथों में स्वाद कैसे रहेगा....बिरजू हड़बड़ा कर उठ गया ओह ... सपना था मगर बाबूजी मुझसे क्या कहना चाहते थे समझ नहीं आया....
उसदिन बिरजू दुकान पर पहुंचा मन लगाकर मेहनत की मगर आज भी नतीजा पहले जैसा ही था दुकान बंद करके हिसाब किताब लगाया तो कुछ अधिक फायदा नहीं हुआ था वह निराश होकर वापस घर जाने के लिए बस स्टैंड की और बढ़ चला बस स्टैंड पर अचानक उसकी नज़र उस लड़के पर पड़ी जो साइकिल पर छोले भटूरे बेचा करता था...ये यहां....कया कर रहा है
छोड़ ना मुझे क्या...सोचकर बिरजू ने एकबार नजर घुमा ली मगर फिर अकस्मात उसकी नजर फिर से उसी लड़के की और चली गई बिरजू ने देखा तो उसे लगा कि वो लड़का रो रहा है पता नहीं कैसे उसके कदम उस लड़के की और बढ़ गये .... यहां ऐसे क्यों बैठे हो आज भटूरे की ठेली नहीं लगाई क्या.... और साइकिल ... साइकिल कहां है
आवाज सुनकर लडके ने सिर उठाया उसकी आँखें अभी भी आँसुओ से भीगी थी
अरे क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो ...कुछ बोलोगे...
बाबूजी....अब मैं आपकी दुकान के बाहर क्या कहीं भी छोले भटूरे नहीं बेच पाऊंगा
कयुं.... क्या मतलब...
में वहां झुग्गी बस्ती में किराए पर रहता हूं बाबूजी कल दिन में जब छोले भटूरे के लिए समान लाने के लिए थोड़े पैसे लेकर बाजार गया था तो पीछे से किसी ने मेरी साइकिल समान पैसे सब चोरी कर लिए .... झुग्गी मालिक को किराया देना था मगर अब....उसने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे झुग्गी से निकाल दिया कल शाम से यही बस स्टैंड पर बैठकर सोच रहा हूं कि अब कैसे काम करुंगा यहां कोई भी मुझे नहीं जानता जो मुझे उधार....गांव भी वापस क्या मुंह लेकर जाऊं मां और छोटी बहन को क्या मुंह दिखाऊंगा बड़े अरमानों के साथ यहां आया था और अब... दिल करता है यही अपनी जान दे दूं .... कहकर वह रो पड़ा
एक लगाऊंगा अगर मरने की बात की तो....ये बुजदिल लोग सोचते हैं...कभी सोचा है तेरे बाद तेरी मां और छोटी बहन का क्या होगा तू उनकी उम्मीद है समझा....
तो आप ही बोलो बाबूजी में क्या करुं
अच्छा सुन .... तू छोले भटूरे बड़े अच्छे और स्वादिष्ट बनाता है मेरे साथ काम करेगा ....
देख दोनों साथ काम करेंगे तो कमाई भी बढ़ेगी में और मेरी पत्नी दो लोग रहते है किराए के एक मकान में तू भी साथ रह लियो पर तेरी तनख्वाह से मकान के किराये और खाने पीने का पैसा कटेगा.....बोल मंजूर है
बिरजू की बात सुनकर वह लड़का उसे हैरानी से देखने लगा ...
ऐसे क्या देख रहा है....
देख रहा हूं मां सच कहती थी जब सब रास्ते बंद हो जाते हैं तो ईश्वर रुप बदलकर जरुरतमंदों की मदद करने जरुर आते हैं कहकर वह बिरजू से बच्चों की भांति लिपट गया
चल ... पहले कुछ खा लें फिर घर चलेंगे कहकर बिरजू ने उसे पास की दुकान से ब्रेड पकोड़े लेकर दिए
बाबूजी मुझे ये भी बनाने आते हैं आप देखना कल से हमारी दुकान पर छोले भटूरे के साथ साथ पकौड़े भी मिलेंगे और लोग स्वाद से अपनी अंगुलियों को चाटते रह जाएंगे... लड़के की बात सुनकर बिरजू भी मुस्कुरा उठा
आखिरकार उसे अब पूर्ण विश्वास था कि अब फिर से लोग उसकी दुकान पर आकर कहेंगे ...स्वाद आ गया
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