सोमवार, 3 जुलाई 2023

बातें '75 की

 

चिन्तन की धारा

फिलहाल विदेश बस रहे एक परिचित हैं , FB पर Mann Jee नाम से उनकी पोस्ट उपलब्ध है । वे लगातार सत्य अनावर्ण करते रहते हैं । उन्हें पढ़ना ही चाहिए...
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हम भारतवासी झूठे इतिहास को पढ़ने को अभिशप्त है। इस में कोई राय नहीं है। केवल ४८ साल पहले हुए कांड मसलन मारुति और नसबंदी के बारे में जनता को बहुत कम जानकारी है या ग़लत जानकारी है। लोगों को आज भी लगता है नसबंदी अच्छी थी लागू करने वाला देवता था बस ढंग से हो नहीं पायी। समझाना ज़रूरी है कोई भी नेता देवता नहीं हुआ। एक दो अपवाद के तौर पर छोड़ दीजिए। सब नेता एक जैसे है- किसी भी पार्टी के क्यों ना हो- किसी भी युग के क्यों ना हो।

सोचने वाली बात है- पचास साठ साल पहले का इतिहास ही जब इतना डिस्टॉर्टेड और साफ़ नहीं है- तो पाँच सौ साल पहले का इतिहास किस तरह पढ़ाया जा रहा होगा। सोचने वाली बात है क्यों बाहर से आये लुटेरों को महिमामण्डित किया गया। सोचने वाली बात ये है क्यों पवित्र परिवार के सब लोगो को भारत रत्न दिया गया जबकि वे कुछ और ही थे।क्यों आज राष्ट्रवादी सरकार आने के नौ वर्ष बाद भी एक लाइन नहीं बदली गई। साफ़ कहता हूँ - हम सब ग़लत पढ़ने के लिए अभिशप्त है- श्रापित है।

इंटरनेट के इस युग में जब सब जानकारी आराम से उपलब्ध है- सब यात्रियों के रोजनामचे, दरबारियों के अनुवाद हुए नामा सब कुछ उपलब्ध है तो देर किस बात की! देश में इतिहास के शोधार्थियों की कमी है? मुझ जैसा औसत बुद्धि वाला आदमी जिसे ढंग से हिन्दी लिखनी नहीं आती- जिसने इतिहास की फॉर्मल पढ़ाई नहीं की- ये काम करने का माद्दा जुटा सकता है तो क्या सरकार कमेटी बना ये काम बड़े स्केल पर नहीं कर सकती। कर सकती है किंतु होगा नहीं- कारण- हम अभिशप्त है ।

लोगों को मृत्युं , निर्धनता, रूग्णता आदि का श्राप मिलता है- हम देशवासियों को श्राप मिला है- ग़लत इतिहास जानने का- अपने महान पूर्वजों की महिमा ढंग से ना जानने का। श्राप मिला है- देश के लुटेरों को महान पढ़ने का। यही कड़वी सच्चाई है।

इस पटल पर अपने पढ़े हुए कुछ तथ्य पेश कर रहा हूँ। मुग़ल सीरीज की सफलता के बाद आशा ना थी इमरजेंसी सीरीज इतनी हाथोंहाथ ली जाएगी। आगे नसबंदी सीरीज और अनेक अनसुने कहानी आदि है जो पहले नहीं पोस्ट किए है। सब कुछ तथ्य आधारित। जुड़े रहिए यदि सत्य जानने का शौक़ है।इतना लिखा हुआ तैयार है कि रोज़ चार पाँच पोस्ट दागी जा सकती है। इमरजेंसी रपट के छः किरदार कवर किए है। शेष है वो सीरीज भी।

अंत में- पढ़ने में आता है कि संजय ने हनुमान जी के नाम पर मारुति कार नहीं बनाई थी। जिस प्रकार अर्चना एक्सप्रेस पूजा अर्चना पर नहीं किसी और के नाम पर चली ट्रेन है- कुछ उसी प्रकार। नेता लोग इतने धार्मिक नहीं है कि ऐसे इरादों के साथ नामकरण कर दें। हाँ जनता अवश्य धार्मिक और भोली है।
नेक्स्ट- नसबंदी सीरीज! Stay tuned!

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*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
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