सोमवार, 30 जनवरी 2023

बाघ का स्वभाव

 


सोमवारीय चिन्तन की धारा --

पंचतंत्र में एक कथा आती है बूढ़ा बाघ और लोभी यात्री की ...

होता क्या है कि एक लोभी व्यक्ति जंगल से गुजर रहा होता है । अचानक उसे एक बूढ़ा बाघ आवाज़ देता है और कहता है

" हे दरिद्र विप्रदेव ! आज आपके भाग्य का लॉक अनलॉक हो गया है । मैं अकूत सम्पदा का स्वामी हूँ । भगवद प्रेरणा से अपनी समस्त सम्पदा का दान करने का इच्छुक हूँ । मेरा संकल्प है कि जो व्यक्ति इस कुंड में स्नान कर ईश्वर का ध्यान करेगा उसे मैं सोने का कंगन भेंट करूँगा । आओ विप्र इस योजना का लाभ उठाओ ।"

गरीब ब्राह्मण सोचता है कि एक बाघ भला सोने का कंगन क्यों बांटेंगा ? अपनी शंका वो उस बाघ से कहता है । प्रतिउत्तर में बाघ उसे वेद पुराण आदि शास्त्रों से सैकड़ो उक्तियां बताता है । यथा

वो कहता है कि
"जिस प्रकार बंजर धरती को वर्षा और भूखे को भोजन देना सार्थक है उसी प्रकार गरीब को दान देना भी सुफल देता है ।"

स्वयं को पंडित बताते हुए वो कहता है कि
"पंडित उसी को जानिये जो स्त्रियों को माता, पराये धन को मिट्टी और सभी प्राणियों से सम व्यवहार करें ।"

इस प्रकार शास्त्रों से बाघ सैकड़ो उक्तियों पर धर्म का प्रपंचित प्रवचन कर लोभी मनुष्य की शंका को निर्मूल कर उससे कहता है कि "जाओ मित्र धर्म पर निष्ठा लाओ और स्नान ध्यान कर ये सोने के आभूषण प्राप्त करो ।"

विप्र बेचारा प्रभावित हो बाघ को तारणहार समझ बैठता है । उसकी बातों में आकर वो कुंड में नहाने जाता है और वहां दलदल में फंस जाता है । बाघ उसकी सहायता करने के बहाने उसके समीप आता है और उसे मारकर खा जाता है ।

पंचतंत्र की इस कथा के उपदेश/ मोराल बहुत प्रासंगिक हैं । जिन्हें समझना अत्यंत आवश्यक है । इन्ही की वजह से ये कथा लिखी गयी है -

*अधर्मी लोग संकट में होने पर धर्म का सहारा लेते हैं ...*

*वो चाहे दुर्योधन हो या कर्ण - इन लोगों को धर्म की याद तब आयी जब इन्हें छल से मारा गया ।*

* वर्तमान युग में अधर्मी संविधान की आड़ ले रहे हैं ।*

*मानवाधिकारों की बात करने वाले ये नरपिशाच काश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर रेत में अपनी गर्दन गड़ाए हुए थे ।*

*हमारा पक्ष आज भी उस निरीह लोभी विप्र की तरह आसानी से इन राक्षसों पर भरोसा कर लेते हैं ...*

*इतिहास से हमें सीख लेते हुये स्पष्ट और दो टूक कहना आ जाना चाहिये ।*

*जिन लोगों का धर्म तुम्हें उलझाना हो - फसाना हो, तुम्हारा अंत करना हो,  उन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए ।*

*बाघ का धर्म ही मनुज की हत्या करना है । उस पर विश्वास विप्र को ले डूबेगा ये शाश्वत सत्य है ।*

*बाघ अपना स्वभाव कभी नहीं बदलता भले ही बूढ़ा हो जाये ।*

*अधर्मी के साथ धर्म निभाना मौत को दावत देना है ।*

*बाघ को आर्थिक और सामाजिक रूप से पंगु बना दीजिये ।*

आशा है अनुज अग्रवाल के द्वारा दिए संदर्भ आप उचित संदर्भों सह सार्थक समझेंगे 🙏

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