स्वास्थ्य ---
सर्व रोगों का एक इलाज
*अमृत धारा* के विषय में बाजारों में कितने ही विज्ञापन देखनें में आते हैं ! न जाने कितनी ही फार्मेशियों ने इसे अलग अलग नामों से पेटेन्ट करा कर प्रचार करने की चेष्टा की है ! और कितने ही लोग इस औषधि को बेचकर धनपति बन बैठे ! किसी ने इसका नाम अमृत धारा, किसी ने पियूष धारा, तो किसी ने पीयूष सिंधु, सुधा सिंधु, तो किसी ने चन्द्र धारा तो किसी ने चिरायु धारा आदि विविध नामों से रजिस्टर्ड करा रखा है ! यह अमृत धारा क्या चीज है ! तथा किस किस नाम से निर्माण की गई है, जान लीजिये, ताकी आप सभी ऐसी अनन्य गुण कारक तथा उत्तम और उपकारक चीज को स्वयं बनाकर अवश्य काम में लावें !!
अमृत धारा बनाने की विधि
अजायन का सत् , पिपरमेन्ट का फूल , और कपूर - तीनो को समभाग लेकर (अलग अलग रख कर ) घर लाकर एक अच्छी मजबूत कार्क वाली बोतल में एक एक कर डाल दें ! दस या पन्द्रह मिनट बाद सब पिघल कर द्रव्य रूप ले लेगा " *यही अमृत धारा है !* कपूर यदि भीमसेनी मिले तो अच्छी अमृत धारा बनती है ! भीम सेनी कपूर महंगा होने के कारण बाजार वाले इसका प्रयोग नही करते ! असली अमृत धारा उपर्युक्त तीन औषधि से ही बनती है !!
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अमृत धारा के प्रयोग
*: १ : ज्वर :-* तुलसी, अदरक, और नागर बेल के पान, ( ये तीनो चीज ) या इनमें से किसी एक चीज का स्वरस पाव तोला ( तोले का चौथाई भाग ) लेकर उसमें तीन बूंद अमृत धारा की डालकर पिलाएं ! यह एक खुराक है ! ऐसे ही सुबह दोपहर शाम व रात को लें ! तीन चार दिन के प्रयोग से सर्व प्रकार के ज्वर दूर होते हैं ! तथा एक चम्मच गरम पानी के साथ तीन चार बूंद अमृत धारा की डालकर प्रात: व सायं पिलाने से मोतीझरा ज्वर आदि सर्व ज्वर शान्त होते हैं !!
*: २ : हैजा :-* अमृत धारा ४/५ बूंद ठन्डे पानी के साथ हर १०/१० मिनट के अन्तर से देते रहें ! ज्यों ज्यों दस्त और कै बन्द होती जावें ! त्यौं त्यौं इसका प्रयोग भी घटाते जावें ! अथवा प्याज का रस निकाल कर उसमें अमृत धारा की तीन बूंद डालकर देने से हैजा मिटता है !!
*: ३ : सिर दर्द :-* २/२ बूंद अमृत धारा की कपाल पर व कनपटियों पर मलने से सब तरह के सिर दर्द नष्ट हो जाते हैं !!
*: ४ : नेत्र रोग :-* १ / २ बूंद अमृत धारा की कपाल पर व कनपटियों पर मलने से सब तरह के सिर दर्द व नेत्रों का दुखना नष्ट हो जाता हैं !!
*: ५ : कर्ण रोग :-* १० बूंद तिल्ली का तेल व एक तोला प्याज का रस में २ बूंद अमृत धारा की मिलाकर कान में डालने से कर्ण रोग शान्त हो जाते हैं !!
*: ६ : नाक के रोग :-* एक हिस्सा अमृत धारा और तीन हिस्सा तिल्ली या अरण्डी का तेल या १० बूंद गुलरोगन मिला कर उसमें रूई का फाहा भिगोकर नाक में लगाने से तथा शीशी खोलकर सुंघाने से पीनस रोग नष्ट होते हैं !!
*: ७ : मुख के छाले :-* चारआना भर कवाब चीनी पीसकर उसमें दो बूंद अमृत धारा की मिला मुख में मलने से छाले नष्ट हो जाते हैं !!
*: ८ : दांत व दाढ़ :-* दांत व दाढ़ पर अमृत धारा मलने से और कौचर में फाहा रखने या मलने से पीड़ा मिटती है ! तथा गले के भीतर बाहर की सूजन आदि सर्व मुख रोगों पर फायदा करती है !!
*: ९ : कास श्वांस :-* ४/५ बूंद अमृत धारा ठन्डे पानी में मिलाकर प्रात: व सायं लेते रहने से श्वांस, कांस, दमा, सब रोग नाश होते हैं ! तथा मीठे तेल में अमृत धारा मिलाकर छाती पर मालिस करने से श्वांस तथा खांसी व छाती आदि का दर्द शान्त होता है !!
*: १० : पसली :-* सौंफ या अजवाइन के अर्क या क्वाथ में ४/५ बूंद अमृत धारा की डालकर पीने से पसली का दर्द व न्यूमोनिया का रोग मिटता है ! अथवा केवल अमृत धारा को सौंठ के चूर्ण में मिला कर देने से भी आराम होता है ! और पसली पर अमृत धारा मलने से भी रोग शान्त होता है !!
*: ११ : छाती के रोग :-* हृदय पर अमृत धारा को तेल में मिलाकर मलना चाहिए ! और ऑवले के मुरव्बे में तीन चार बूंद अमृत धारा डालकर खिलाने से सर्व हृदय रोग मिटतें हैं !!
*: १२ : पेट दर्द :-* खाण्ड या पतासे मे ३/४ बूंद अमृत धारा डालकर खिलाने से पेट दर्द शान्त होता है ! यदि न मिटे तो आधा आधा घण्टे के अन्तर से सेवन कराया जाय तो अवश्य मिटता है !!
*: १३ : मंदाग्नि रोग :-* भोजन के पश्चात २/३ बूंद अमृत धारा ठन्डे पानी के साथ लेने से मन्दाग्नि के सब रोग शांत होते हैं ! अथवा सौंठ के अर्क के साथ पानी में मिला पीने से सब प्रकार के उदर विकार नाश हो जाते हैं !!
*: १४ : कमजोरी :-* १ तोला गाय के मक्खन और आधा तोला शहद में ४ बूंद अमृत धारा नित्य लेने से कमजोरी रोग का नाश होता है !!
*: १५ : जल जाने पर :-* अग्नि, तेजाब, गरम पानी, या गरम तेल में जल जाने पर १ या २ या ३ चूने का कंकर ले और उसको १० तोला पानी में भिगो दें ! १० मिनट बाद उसमे दो तोला मीठा तेल डालकर मलने से जलन शान्त होती है !!
*: १६ : अद्धिंग, लकवा, गठिया आदि :-* अमृत धारा में १ तोला सरसों का या मीठा तेल मिला कर मालिस करना और गरम कपड़े से सेंक करना या ऊपर पुरानी रूई गरम कर बांधने से वायु संबन्धी पीड़ा की शान्ति होती है !!
*: १७ : हिचकी :-* २ बूंद अमृत धारा को जीभ पर डालकर मुह बन्द कर कुछ अमृत धारा सूंघने से हिचकी बन्द होती है !!
*: १८ : प्लीहा रोग :-* प्लीहा स्थान पर अमृत धारा की मालिस करना और ३ मासे खांड में तीन चार बूंद अमृत धारा व एक मासा काला नमक मिलाकर बासी पानी के साथ पीना चाहिए !!
*: १९ : यकृत रोग :-* अमृत धारा की तीन चार बूंद त्रिफला के पानी में डाल कर सुबह साम पियें ! व यकृत स्थान पर अमृत धारा की मालिस करने से यह रोग शान्त हो जाता है !!
*: २० : अतिसार रोग :-* ठन्डे पानी में दो तीन बूंद अमृत धारा की मिलाकर सुबह साम पीने से दस्त, आमदस्त, मरोड़, पेचिश, अतिसार, आमातिसार, खट्टी डकार, अतिप्यास, पेट फूलना, पेट दर्द, भोजन करते ही कै या दस्त होना इत्यादि सर्वरोग शान्त होते हैं !!
*: २१ : दाद खुजली आदि :-* तिल्ली के तेल में अमृत धारा मिला सारे सरीर या किसी एक जगह की खुजली मिटती है !!
*: २२ : जुकाम :-* अमृत धारा को सूंघनें से जुकाम मिटती है !!
*: २३ : मृगी :-* सिर पर १/२ बूंद अमृत धारा की मालिस करें ! व २ बूंद अमृत धारा को गुलाब जल के अर्क में डालकर पियें !!
*: २४ : जहरी जानवरों के विष पर :-* जहरी जानवर, टाटिया, बिच्छू, भंवरा, तथा मक्खी आदि के डंक पर अमृत धारा मलने से आराम होता है ! जिस जगह पर विच्छू काटे उस जगह को थोड़ा ख़ुरच कर अमृत धारा मलने से जल्दी आराम होता है !!
यह अमृत धारा बहुत ही अनुपम योग है ! जिसे कितने ही वर्षों से आम जन में प्रसिद्ध है ! आप सब भी इसे स्वयं बनाकर अपने अपने घरों में जरूर रखें ! ताकी छोटी छोटी परेशानी होने पर आप तुरन्त इसका प्रयोग कर लाभ लें सकें ।।
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