सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

अहंकार

 

सोमवारीय चिन्तन
ठिठुराती सर्दी में किसी काम वश, एक दम्पति घर आये… छोटी सी बातचीत के बाद मैैनें चाय के लिए पूछ लिया.. मौसम भी था।

मुझे लगा भाईसाहब ने नहीं, उनके अंहकार ने चाय के लिए मना किया.. बोले कि " 27 साल हो गये.. चाय के हाथ भी नहीं लगाया.. घर में कोई नहीं पीता..कोई व्यसन नहीं.. चाय, काॅफी,  गुटखा….

वे जोश में आ गये थे कि संसार का सर्वश्रेष्ठ व्यसन मुक्त व्यक्ति मैं ही हूं।

अंहकार इसी ताक में रहता है कोई पूछे और में जागूं.. चाय का नाम आते ही जाग गया।जबकि ये उनके लिए चाय से ज्यादा खतरनाक था।

त्याग भी.. जो अंहकार पैदा कर दे, वो नुकसानदायक है। ये हम अपने लिए करते है। दिखाने या बताने के लिए नहीं।

वो सज्जन विनम्रता से भी मना कर सकते थे कि आप लोगों का मन हो रहा है तो लिजिए .. मै बस गुनगुना पानी लूंगा। चाय मुझे दिक्कत करती है।

अंहकार डबलरोल में काम करता है। पाने में भी और त्यागने में भी । अहंकार सिर्फ वजह ढूंढता है। ना मिले तो बना लेता है।

अंहकार एक भ्रम है, इसे लोग पैदा करते है। देखो… कितना धनवान है, देखो, कितना गुणी है। देखो, कितना सुन्दर है.. देखो, कितने एवार्ड मिले है। देखो.. क्या रुतबा है। देखो..कितने खर्च करता है। देखो कितना नाम है …

चेतना बनी रहे तो ये बातें असर नहीं करती , लेकिन चेतना भी कितनी आत्माऔं में जिन्दा है आजकल ??

लोगों की जय जयकार, अंहकार का ईधन है.. ये रीढ की हड्डी को कड़क और सीने का विस्तार करती है।

एक और सज्जन है जिन्हौने अपने अंहकार को पोषित करने के लिए मुझसे पूछा कि आज तक आपके अचीवमेंट्स क्या है। ये पेन्टिग, आर्ट फार्ट सब ठीक है। लेकिन इससे मिला क्या अब तक.. ? कमाई क्या की ?

ये सवाल मेरे लिए नही था। मुझे क्या मिला,उनको इससे कोई लेना देना नहीं था, दरअसल उनको बताना ये था कि आपके हमउम्र होने के बाबजूद मेरे पास जो प्रॉपर्टी, पैसा है वो असल अचीवमेंट है।...

सज्जन ने सीना चौड़ा करके कहा कि.. जीवन में पैसा ही काम आता है  "अपन ने तो सब तैयारी कर रखी है.. बच्चों के शादी ब्याह.. मकान. दुकान.. सबकी....

मैने रूचि नही ली। वो सोच रहे थे कि मैं पूछूं.. कितनी तैयारी है.. और वो विस्तार से बताये, लेकिन मैने पूछा कि.. चाय पिऔगे अदरक वाली ??

जो प्राप्त है वो प्रर्याप्त है। ईश्वर ने जो आनन्द दिया है वो भी एक अचीवमेंट ही है। रोज का दिन अच्छा निकल रहा है। संकट में कभी घबराये नहीं। कभी कुुछ मिला भी तो इतराये नहीं। जीवन में दरी पर भी सोया हूं और फाईव स्टार होटल मेँ भी… कभी स्टेट्स नही डाला कि फीलिंग सेड. या हैप्पी विद….

फिक्र बैंक बेलेंस की नहीं है। बस सुख दुख का बैंलेस बना रहे।  मुझे भौतिक अर्थ की नहीं ,जीवन के अर्थ की तलाश है..
ये चेतना बनी रहे कि हे ईश्वर जो भी है और जितना भी है वो सब तेरा है।
सिर्फ एक मुसाफिर हूं मैं तो….

... मैं क्या, हम सब मुसाफिर है ,.. वो सज्जन भी… लेकिन वो मानते कहां है....  (Kgkadam)

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*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
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