बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

स्वास्थ्य चर्चा

 

स्वास्थ्य चर्चा
   बिस्तर पर लेटे हैं, नाक बंद है, साँस नहीं आ रही, मुँह से साँस लेनी पड़ रही है और मुँह से साँस लेने पर गला सूख जाता है, गले में इंफ़ेक्शन हो जाता है और दर्द भी।
इसके अतिरिक्त जरा सी धूल आसपास उठी तो तत्काल छींक आयीं और नाक बहनी शुरू। कुछ खट्टा - ठण्डा खा लिया या फिर कब्ज हो गई तो जुकाम शुरू।
इसके आगे की स्थिति जुकाम के साथ चेहरे व नाक में खुजली, सूजन और जलन।
इसके आगे तेज सिर दर्द (माइग्रेन), ठीक से सो न पाने, भोजन के ठीक से पचने के कारण होता है। माइग्रेन पहले कभी - कभी होता है, बाद में स्थायी।
अच्छा! सर्दियों में यह समस्या और बढ़ जाती है।
अब इसके समाधान पर बात करते हैं-
१- पेट को साफ़ रखना :- कब्ज या आँतों में जमा गंदगी जुकाम और अलर्जी का बड़ा कारण हैं। अतः आँतों की सफ़ाई व पाचन क्षमता की वृद्धि आवश्यक है।
•इसके लिए केवल एक सप्ताह प्रतिदिन प्रातः तीन से चार ग्राम हरड़ चूर्ण गर्म जल से लेना तथा जब भी भोजन करना उसमें घी का प्रयोग करना कब्ज से बचाता है।
•भोजन के पहले प्रतिदिन 300-500 ग्राम सलाद खाना उसके बाद तुरंत भोजन करना।
•रोटी-चावल का एक साथ सेवन नहीं करना और बड़ी भोजन से भी बचना।
•रात्रि में गुनगुने जल से त्रिफला का सेवन।

२- नस्य- : नासिका में अणु तेल या गाय के गुनगुने घी की बूँदे डालना। अजवाइन का नस्य अर्थात् धुँआ नासिका से लेना।
३- एक्यूप्रेशर पॉइंट-: नासिका के आसपास म्यूकस एरिया के पॉइंट को प्रेस करना व मसाज देना।
४- ठण्ड से बचाव-: ठण्ड से बचने के लिए आवश्यक वस्त्र पहनना व गुनगुने सरसों तेल की तलवों में व छाती, पसलियों की मालिश करना।
५- श्वसन प्रयोग-: अर्ध कपाल भाती। अनुलोम-विलोम का अभ्यास करना।
६- तुलसी ड्रॉप -: तुलसी ड्रॉप के दो-दो बूँद एक कप गर्म पानी में डालकर , दिन में चार बार लें।
उपरोक्त प्रयोग आपके लिए बहुत लाभकारी होगा।
- भूपेन्द्र जी की बातें

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*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
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