इन दिनों उस पत्थरों की बड़ी चर्चा है जिनसे भगवान राम - माता सीता की मूर्ति/विग्रह बनेगा ।
कहीं पढ़ी कथा याद आई कि एक बार एक मंदिर का निर्माण हो रहा था,मूर्तिकार को भगवान की मूर्ति बनानी थी सो वह पत्थर की तलाश में निकला,पास ही नदी किनारे उसे दो पत्थर दिखाई दिये,उसने उन पत्थरों से कहा कि मेरे साथ चलो मैं तुम्हारा जीवन बदल दूंगा,तुमको भगवान बनाऊंगा।
-उस से क्या होगा पत्थरों ने पूछा?
उससे आपको सब कुछ मिलेगा, ढेर सारा सम्मान मिलेगा, क्या अमीर क्या गरीब राजा रंक सभी लोग तुम्हारे सामने हाथ जोड़े खड़े रहेंगे।
-अरे वाह फिर तो बना दो,पर कैसे बनाओगे?
-आपके ऊपर छेनी हथौड़ी चलाऊंगा, काट काट करूंगा कुछ दिनों बाद तुम्हारा ट्रांसफार्मेशन हो जाएगा और तुम पत्थर से भगवान बन जाओगे।
- अरे नहीं नहीं,मुझे दर्द नहीं झेलना,मैं यहीं पड़ा ठीक-ठाक हूं, पहले पत्थर ने मना कर दिया पर दूसरे पत्थर ने विचार किया कि जीवन में कुछ बड़ा बनना है तो दर्द तो सहना ही पड़ेगा सो वह तैयार हो गया ।
काम शुरू हो गया दूसरा पत्थर उसका मजाक उड़ाता था यह चुपचाप दर्द सहता था।कुछ ही दिनों में मूर्तिकार ने उससे एक भव्य प्रतिमा बनाई और मंदिर में लगा दी, अगले दिन मंदिर का उद्घाटन था तभी आयोजकों को याद आया कि लोग नारियल कहां फोड़ेंगे, कोई पत्थर तो है ही नहीं,लोग भागे भागे गए और उसी पत्थर को जिसने मार खाने से इंकार कर दिया था , उसे ले आये। लोग आज तक उसपर पटक पटक कर नारियल फोड़ रहे हैं,पहला पत्थर सम्मान पा रहा है दूसरा मार खा रहा है।
*मनुष्य जीवन में जो कुछ भी है वह सिर्फ और सिर्फ अपने फैसलों की वजह से ही है । पहले पत्थर ने कड़ा फैसला लिया संघर्ष किया और आज सुख का जीवन जी रहा है।*
दूसरे पत्थर ने कंफर्ट जोन को प्राथमिकता दी और आज तक मार खा रहा है।
यही फैसला हम सबको करना है कि हमें कौनसा पत्थर वाला मार्ग चुनना है । कुछ दिन कंफर्ट जोन का त्याग करके संघर्ष करके आगे बढ़ना है और सुख का जीवन व्यतीत करना है या अभी कंफर्ट जोन में रहकर आगे जीवन भर संघर्ष में रहना है।
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*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...* 👉🏼
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नमस्कार अशोक जी, मैं आपकी लिखी रचनाओं पर you tube वीडियो बनाना चाहता हूँ, क्या मुझे आपकी स्वीकृति मिलेगी 🙏
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