*सोमवारीय चिन्तन ...*
हिंसा क्या है ? इसे कृपया अंग्रेज़ी से अनुवाद करके न समझें ..
हिंसा और violence का आपस में कोई वैसा संबंध नहीं है जैसा अनुवादक समझते हैं ।
क्या आप किसी को बिना कारण दो थप्पड़ जड़ देते हैं वही हिंसा है ?
जी नहीं , जब हमारे सामने एक सीधा साधा व्यक्ति हमसे हमारी दुकान में कुछ क्रय करने को आता है और उसे हम ठग लेते हैं वह भी हिंसा है ।
जब हम वकील बनकर अपने चातुर्य के बल पर अपनी युक्तियों से एक निरीह और दोषहीन को सजा दिलवा देते हैं, वह भी हिंसा है ।
एक डॉक्टर जब छूरी से सर्जरी कर रहा होता है तो सनातन धर्म के अनुसार वह हिंसा नहीं है , वह कर्तव्य कर्म है पर यदि वही डॉक्टर जानबूझकर दस बीस टेस्ट लिखकर रोगी को कहता है की फलनवे टेस्ट सेंटर से ही टेस्ट करवाना तब वह हिंसा है ।
जब आप सत्य पर दृढ़ है और एक किताबी आपके गाल पर तमाचा जड़ता है तब तब तमाचे को चुपचाप सह लेना धैर्य हो सकता है पर दूसरा गाल आगे करना , मूर्खता है और उस किताबी को अवसर आने पर प्रतिउत्तर न देना , कायरता है ।
युद्घ में गोली चला रही सेना अपना कर्तव्य कर रही होती है उसे हिंसा नहीं कहते , हाँ उसी सेना के लिए हथियार ख़रीदते समय दलाली खाना , हिंसा है ।
और श्री भगवान ने यही बात बार बार अर्जुन को बतायी है की सुन अर्जुन …
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः
जैसे कि बिहार में गांधी मैदान काण्ड में दो या तीन लोगों को मृत्यु दण्ड दिया गया है और मान लीजिए राष्ट्रपति तक यह सजा बरकरार रह जाती है तब जो जल्लाद उन्हें फाँसी पर चढ़ाएगा वह अपना कर्तव्य कर्म करेगा , न की हिंसा ।
अत: अपने पारिभाषिक शब्दों के अब्राहमिक अनुवाद से बचें, भावर्थानुसार अनुसरण होना चाहिए ।
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