आज सभी हिन्दू सनातनी मित्रों को मकर-संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ..!
हम सभी जानते हैं कि.... मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य भगवान "दक्षिणायण" से "उत्तरायण" में प्रवेश करते हैं.
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर.... यह सूर्य का "दक्षिणायण" या "उत्तरायण" आखिर होता क्या है ?
और, अगर मकर संक्राति पर सूर्य भगवान "दक्षिणायण" से "उत्तरायण" में आ जाते हैं....
तो फिर, "उत्तरायण" से "दक्षिणायण" में कब जाते हैं ???
असल में भारतीय खगोल विज्ञान के अनुसार बारह राशियां होती है... तथा, सूर्य हर एक राशि लगभग 1 महीना रहता है.
हमारी बारह राशियों के नाम इस प्रकार हैं.... मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, बृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ तथा मीन.
और, जिस दिन सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है उसे संक्राति कहते है.
इसका मुख्य कारण यह है कि... पृथ्वी अपनी अक्ष पर थोड़ा झुकी हुई है... यही कारण है कि सूरज पूरब से निकलता तो है लेकिन उसका एक ही निश्चित स्थान नहीं है.
यदि आप प्रतिदिन सूर्योदय को देखे तो आपको पता चलेगा कि कल सूर्य जिस स्थान से निकला था आज उसका स्थान कल वाले स्थान से थोड़ा सा उत्तर या दक्षिण की ओर शिफ्ट हो गया है.....!
सर्दियों में दिन छोटे होते हैं अर्थात सूर्य देर से निकलता है.
इसका मतलब हुआ कि सर्दियों में सूर्य दक्षिणायन रहते हैं.
लेकिन, मकर संक्रांति के बाद सूर्योदय का स्थान प्रतिदिन उत्तर की और शिफ्ट होना शुरू हो जाता है.
इसी कारण कहा जाता है कि.... मकर संक्रांति को सूर्य भगवान की गति "उत्तरायण" हो गई है.
मकर संक्रांति के बाद यह गति सावन के महीने (जुलाई ) की "कर्क संक्रांति" तक लगातार उत्तर की तरफ बनी रहती है.
और, सावन के महीने में सूर्य के "कर्क राशि" में आने के बाद सूर्योदय का स्थान उत्तर से दक्षिण की तरफ शिफ्ट होने लगता है.
इसको सूर्य की गति "दक्षिणायण" हो जाना कहते है .
और, इस संक्राति को कर्क संक्रांति या श्रावण संक्रांति भी कहते हैं.
'कर्क संक्रान्ति' से वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है और 'चातुर्मास' या 'चौमासा' का भी आरंभ इसी समय से हो जाता है.
सोचने वाली बात है कि.... जब गैलीलीयो ने पृथ्वी को चलायमान कहा था तो उनके ही मजहबी भाई-बहनों ने उसे पागल घोषित करके मार दिया था..
और, मजहबी लोगों ने तो बाकायदा धरती तो चपटा एवं सूर्य को दलदल में रखने वाले वाला गेंद बता रखा है जिसे महामद रोज सुबह झाड़ पोंछ कर आकाश में लगा देता.
पूरी पृथ्वी पर सिर्फ हिन्दू सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो हजारों लाखों साल से... मकर संक्रांति के माध्यम से पूरी दुनिया को ये बता रहा है कि..... पृथ्वी और सूर्य न सिर्फ चलायमान हैं बल्कि पृथ्वी अपने अक्ष पर थोड़ी झुकी हुई भी है.
जिस कारण पृथ्वी के सापेक्ष में सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन होता रहता है.
तो, फिर अपने ऐसी वैज्ञानिक जानकारी बताने एवं त्योहार के रूप में ऐसी सीख देने वाले हमारे सनातन हिन्दू धर्म पर हमें आखिर क्यों न गर्व हो...!
हम सब हिन्दू पूर्वजों की संतान हैं !!
गर्व से कहो....हम हिन्दू हैं. -सतीश
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