सोमवार, 3 जनवरी 2022

 

चिंतन के पल....

जब भी कभी आपको लगे कि यह उसे मिला मुझे क्यों नहीं, ऐसा पक्षपात नियति ने आपके साथ क्यों किया है… तो आप बीते वर्ष  2020-21 को याद कर लें, फिर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए खुद से पूछें कि…

इन दो लहरों के दरम्यान मैं जीवित रहा, वे क्यों जीवित नहीं रहे जो मेरी ही तरह जीवन से भरे हुए, सपनीली आंखों के साथ न जाने क्या-क्या भविष्य बुन रहे थे।

यह गुजरा समय लौट कर नहीं आना है, आना चाहिए भी नहीं। पर जब भी आपको लगे कि नियति ने आपके साथ पक्षपात किया है… आप याद उन्हें ही कर लें, जो लौट के घर न आये!

हम जीवित हैं, अर्थात् नियति ने हमें उन से काफ़ी अधिक दे दिया है। कृतज्ञ बनें, शिकायती नहीं।

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