*चिन्तन के पल...*
समुद्र के किनारे जब एक लहर आयी तो एक बच्चे की चप्पल ही अपने साथ बहा ले गयी.. बच्चा रेत पर अंगुली से लिखता है
"समुद्र चोर है"
उसी समुद्र के एक, दूसरे किनारे कुछ मछुवारे बहुत सारी मछलियाँ पकड़ लेते हैं. ...
वह उसी रेत पर लिखते हैं
"समुद्र मेरा पालनहार है"
एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है....उसकी मां रेत पर लिखती है,
"समुद्र हत्यारा है"
एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था...उसे एक बड़े सीप में एक अनमोल मोती मिल गया, वह रेत पर लिखता है
"समुद्र दानी है"
.... अचानक एक बड़ी लहर आती है और सारा लिखा मिटा कर चली जाती है
मतलब समंदर को कहीं कोई फर्क नहीं पड़ा कि, लोगों की क्या राय है उस के बारे में ,वो अपनी लहरों में मस्त बार-बार आता जाता रहा ..
अगर विशाल समुद्र बनना है तो किसी की बातों पर ध्यान ना दें....अपने उफान और शांति समुद्र की भाँति अपने हिसाब से तय करो।
लोगों का क्या है .... उनकी राय परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है।
चाय मक्खी में गिरे तो चाय फेंक देते हैं और देशी घी मे गिरे तो मक्खी को फेंक देते हैं ।।
लोगों को अपने हित की बात लगे तो अच्छा - अच्छा , पर सनातन सत्य भी कड़वा लगेगा तो थू थू... लोग क्या कहेंगे ,से ज्यादा सही है अपना आचरण ,अपना व्यवहार , अपनी नीति -सोच सही रखें !!
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