आज दिन है धन तेरस का. माता लक्ष्मी का. माता लक्ष्मी जो माता सरस्वती और माता पार्वती के साथ आदि शक्ति की तीन देवियों में आती हैं.
वर्तमान समाज के ढांचे में रहते हुवे धन यश के सामर्थ्य को मन ही मन स्वीकार करते हुवे हमें परहेज़ रहा है इसकी महत्ता को सार्वजनिक स्वीकार करने हेतु ।
हमने कहानियाँ गढ़ ली कि लक्ष्मी और सरस्वती का सदैव बैर रहा है (देवियों का नहीं बल्कि पैसे और बुद्धि का). लक्ष्मी जी के वाहन उल्लू को हमने बेवक़ूफ़ी का प्रतीक बना दिया. Group of owls अंग्रेज़ी में संसद को कहते हैं, जबकि यहाँ किसी सांसद को उल्लू कह दो तो भड़क जाता है. भारत ही नहीं दुनिया की हर प्राचीन संस्कृति में उल्लू को बुद्धि मत्ता का प्रतीक माना गया है. ग्रीक संस्कृति में उल्लू को एथेना देवी का प्रतीक माना गया, रात्रि के अंधेरे को चीरने वाली दृष्टि रखने वाले उल्लू माहाराज को माना गया कि उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त है और इसी रूप में इनकी पूजा की गई.
हमारी संस्कृति में भी उल्लू को बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना गया है, पर समय के साथ सोसलिस्ट विचार धारा में हमने सामान्य जीवन में उल्लू को बेवक़ूफ़ घोषित कर दिया, अर्थात जो लक्ष्मी के वाहक हैं, धन सम्पदा रखते हैं वह उल्लू हैं, मूर्ख हैं.
वैसे मन ही मन हम सब उपासक लक्ष्मी माता के हैं. धन सम्पत्ति, यश, वैभव किसे नहीं पसंद है, सार्वजनिक स्वीकारें या ना स्वीकारें. बातों में हम भले ही विद्या की देवी की बात करें, धन ऐश्वर्य की देवी के वाहन को उल्लू घोषित करें, मन ही मन सब चाहते हैं लक्ष्मी देवी की कृपा रहे. छात्र जीवन में भी भारतीय जीवन में सरस्वती माता की मूर्ति मुझे किसी विद्यार्थी के कमरे में न दिखी. हाँ गणेश जी के साथ लक्ष्मी माता की मूर्ति अवश्य होती थी. सबका लक्ष्य माता सरस्वती की साधना , माता पार्वती की आराधना के बाद माता लक्ष्मी के आशीर्वाद को पाना ही होता है। आपने शायद हाल ही में देखा हो नासा में दो अमेरिकन भारतीय लड़कियों को स्कालर्शिप मिली उनके हॉस्टल की फ़ोटो में बड़ी सी सरस्वती माता की फ़ोटो थी तो भारत का सेक्युलरिज़म ख़तरे में आ गया था.
पार्वती माता प्रतीक रही हैं, ताक़त, पराक्रम और शिव की पत्नी के रूप में. समय के साथ उनकी उपासना शिव की पत्नी के रूप में सीमित होती जा रही है. जबकि देखा जाए तो पार्वती माता वह शक्ति थी जिन्होंने शृष्टि के संहारक शिव को भी बस में कर रखा था.
*न सरस्वती के बग़ैर लक्ष्मी सम्भव हैं और ना ही सरस्वती और लक्ष्मी के बिना पार्वती. बुद्धि, यश, वैभव, सम्पदा, पराक्रम और प्रेम यह सब एक ही शक्ति के विभिन्न पहलू हैं, एक के बग़ैर दूसरा सम्भव नहीं.*
माता सरस्वती आपको बुद्धि, माता पार्वती आपको पराक्रम और माता लक्ष्मी आपको वैभव प्रदान करें.
धन तेरस की अशेष शुभ कामनाएँ.
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