सोमवार, 1 नवंबर 2021

प्यास

 

गर्मियों की एक दोपहर, प्यास से बेहाल एक लड़का, सड़क किनारे लगे एक नलके को देख कर, पानी पीने के लिए, नलके का हैण्डल चलाने लगा।
पर बहुत प्रयास करने पर भी पानी नहीं आया। हार कर, उस लड़के ने पास के ही एक घर से पानी माँगा।
उस घर से, एक आदमी एक लोटा पानी लेकर बाहर आया। लड़के ने पानी के लिए हाथ बढ़ाया, तो वह आदमी बोला- ठहरो बेटा! यह पानी तुम्हारे लिए नहीं है। यह तो इस नलके के लिए है। असल में मेरे पास अधिक पानी नहीं है, बस यही पानी बचा हुआ है। एक बार यह पानी नलके में डाल दूँ, फिर तुम्हें पानी पिलाऊँगा।
लड़के ने कहा- आप क्या बात कर रहे हैं? आप कहते हैं कि बस इतना ही पानी है। यदि यह भी नलके में डाल दिया जाएगा तो मैं पीऊँगा क्या?
आदमी बोला- चिंता मत करो! बस यह पानी नलके में डाल कर नलके का हैण्डल चलाने भर की देर है, फिर तो पानी ही पानी हो जाएगा। तब तुम कितना ही पानी पी लेना।
विचार करें! भूमि में पानी तो है, पर बहुत समय से उस नलके का उपयोग नहीं होने के कारण वह पानी ऊपर नहीं आ रहा है। अब नलके में ऊपर से जो पानी डाला जा रहा है, वह इस नलके का अपना पानी निकालने के लिए है।
यों प्यास तो उस डाले गए पानी से भी बुझ सकती थी, तो उसे ही क्यों न पी लिया? प्यास तो बुझ जाती। पर वह नलके में न जाता तो नलका वापसी में अनन्त पानी कैसे देता?
बस ऐसा ही ज्ञान के लिए भी समझना चाहिए। यह जो ज्ञान आपके भीतर डाला जा रहा है, वह यदि आप भीतर उतरने दें तो इससे आपका स्वयं का ज्ञान, आत्मिक ज्ञान जाग जाएगा, तब अज्ञान का सर्वथा नाश हो जाएगा।
पर पानी डालने मात्र से ही पानी नहीं आएगा, हैण्डल भी चलाना पड़ेगा। तो इस ज्ञान को बुद्धि तक सीमित मत रखना। नलके का हैण्डल भी चलाना, इस ज्ञान पर मनन भी करना, इसे भीतर उतार लेना।
जैसे पौधा बीज के भीतर ही प्रतीक्षारत रहता है और जरा सी अनुकूलता मिलते ही फूट पड़ता है। न केवल स्वयं टूटता है, चट्टान को भी तोड़ डालता है। छोटा सा बीज, पहाड़ को फाड़ कर, चीर कर, हरा कर, अंकुर के कोमल पत्ते बाहर निकाल देता है।
ऐसे ही आपके भीतर भी संपूर्ण ज्ञान का बीज प्रतीक्षारत है। उसे पाने के लिए अधिक कुछ करने की आवश्यकता नहीं है, बस इस बाहर से मिल रहे ज्ञान को भीतर उतार कर, मनन करने से वह ज्ञान उपलब्ध हो जाता है। असंभव लगता है पर संभव हो जाता है।
ज्ञानी कहते हैं कि फिर आप कहीं भी खड़े रहना, न केवल आपकी प्यास बुझ जाएगी, जो आपके पास से गुजरेगा वह भी प्यासा न रहेगा।

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