सोमवार, 8 अगस्त 2022

थोड़े में बहुत

 

चिन्तन की धारा

कछुए औसतन 300 से 500 साल जीते हैं ।
हाथी 100 से 160 साल ।
कुत्ते मात्र 10 - 12 साल ।

कछुए की लंबी ज़िन्दगी का राज़ छिपा है उसकी सांस लेने की गति और तीव्रता में ।
कछुए अपने सामान्य जीवन मे जमीन पर हवा में एक मिनट में आधे से भी कम बार सांस लेते हैं या यूं कहें कि दो तीन मिनट में एक बार सांस लेते हैं । वही कछुआ जब पानी मे चला जाता है तो आधे घंटे तक भी सिर्फ एक सांस में आराम से रहता है ।
पर वही कछुआ जब Hibernation अर्थात शीत निद्रा में चला जाता है तो 6 महीने तक बिना सांस लिये रह लेता है ।

कछुए की लंबी और सुखी ज़िन्दगी का राज़ है -- कम से कम में जीवित रह लेना ।
किसी भी परिस्थिति में सुख से जीवित रह लेना ।

कुत्ता इसलिये इतना कम जीता है क्योंकि उसे प्रति मिनट 30 बार सांस लेनी है । दौड़ने भागने भौंकने लगा तो 200 बार प्रति मिनट । कुत्ते भी अगर 5 मिनट में एक बार सांस लेकर जीना सीख जाते तो वो भी 100 बरस सुख से जीते ।

सुखी जीवन का मूल मंत्र -- न्यूनतम में जीना सीखो।
किसी भी परिस्थिति में जीना सीखो ।
अपनी जरूरतों को कम से कम करते जाओ ।
यहां तक कि Zero पे ले आओ ।

जीवन मे कछुआ बन जाओ ।
कछुआ कभी हड़बड़ी में नही जीता ।

सुख से जीना है तो ज़रूरतें घटानी शुरू करो ।
कम से कम कपड़े , घर और जीवन मे कम से कम सामान accesories , Baggage .....
कम से कम रिश्ते नाते , कम से कम न्योता हँकारी ......
कम से कम /  न्यूनतम Formalities ......
न्यूनतम भोजन ......

सुखी रहना है तो धीरे धीरे आदमी से कछुआ बन जाओ ।
-अजित सिंह का की प्रेरणा, जो अब वानप्रस्थी हुवे ।

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