रविवार, 14 अगस्त 2022

खुराफ़ात

 

एक बार बादशाह अकबर ताजमहल के आँगन में बैठकर एक नाई से दाढ़ी बनवा रहे थे। नाई बीरबल से बहुत चिढ़ता था इसलिए हमेशा अकबर के कान भरता रहता था। शाही रसोइया रसोई से निकलते ही बोल पड़ा वाह बादशाह सलामत आज आपके दादा बाबर होते तो रसोई में बन रही कुल्फी खाकर बहुत खुश होते। 
यह सुनकर नाई के दिमाग में खुराफात सूझी। उसने कहा हुजूर क्यों न एक आदमी जन्नत में भेजकर आपके दादा हुजूर को कुछ कुल्फी भिजवा दी जाए। साथ ही आपके जन्नत में सब कैसे हैं उनका हाल भी मालूम हो जाएगा।
बादशाह खुश हुए बोले वैसे उपाय तो अच्छा है, पर किसी को भेजेंगे कैसे?
नाई नें कहा अगर एक लकड़ियों के ढेर पर एक आदमी को बैठा कर आग लगा दें तो सीधा जन्नत जाएगा। 
अकबर को उपाय अच्छा लगा। उसने कहा फिर किसे भेजा जाएगा? तुम जाओगे? नाई ने कहा हुजूर मैं कहाँ इस लायक हूँ। ऊपर से रोज कमाने खाने वाला आदमी। आप किसी अक्लमंद को भेजिए। बादशाह ने कहा - तो फिर किसे भेजें?
बीरबल को भेजिए, आदमी अक्लमन्द है और लायक भी।
बादशाह ने बीरबल को तालब किया। बीरबल ने जब यह सब सुना तो चकराए फिर बोले ठीक है एक महीने बाद, सावन की पूर्णिमा को अच्छा मुहूर्त है उसी में चले जायेंगे। 
सब तैयारियाँ हो गईं। लकड़ियों का ढेर बना दिया गया, बीरबल उसमें बैठकर जन्नत जाने वाले थे। भीड़ जमा हो गई थी।  बीरबल अंदर बैठ गए, नाई आग लगाने वाला था कि तभी वहां रानी लक्ष्मीबाई घोड़े पर बैठ कर आ पहुंची।  बोली बीरबल भैया जा रहे हो तो ये मेरी राखी हुमायुँ को दे देना। उन्हें जन्नत गए तो सालों हो गए लेकिन कलियुग का समय है क्या पता इतिहास में कौन क्या पढ़ ले।अब किसी ने ऐसा पढ़ लिया है कि मैंने भेजी थी तो अब तुम ले ही जाओ।
बीरबल ने राखी का लिफाफा लिया और आग में चला गया।
    दरअसल आग के नीचे बीरबल ने सुरंग बनवाई थी जिसके रस्ते कहीं और जाकर रहने लगा। एक महीने बाद जब लौटा तो उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी। वह अकबर के दरबार में गया। अकबर उसे देखकर बहुत खुश हुए और बोले बताओ कैसे हाल हैं जन्नत में सबके और उनको कुल्फी कैसी लगी।
    हुजूर, कुल्फी तो उन्हें खास पसंद नहीं आई क्योंकि मैं आग में से गया था तो सब पिघल गई थी। सब खुश तो हैं लेकिन उनकी दाढ़ी बहुत बढ़ गई है।  कह रहे थे एक नाई को भेज दो ताकि हजामत करवा सके।
   बादशाह खुश हुआ और नाई को जन्नत जाने के लिए तैयार होने का आदेश दे दिया।
   एक बात और हुजूर आपके अब्बा हुजूर नें उस आदमी को भी बुलाया है जिसने इतिहास में यह लिख दिया कि रानी लक्ष्मीबाई नें उनको राखी भिजवाई थी। वे कुछ और बढ़िया इतिहास लिखवाना चाहते हैं। बादशाह नें उस आदमी को ढूंढने का आदेश दे दिया, नाई तो जन्नत पहुँच गया  लेकिन
उस इतिहासकार की अब तक तलाश जारी है।

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