किशोरावस्था में नया नया दाढ़ी का शौक आया, पर घनत्व न आ रहा , पड़ोस में एक नाई था। उसके दर पर अपनी समस्या का निदान करने पहुंचा तो उसने कहा की आप घर पर शेव ना कीजिए।
जब शेव करवानी हो तो दुकान पर आ जाईये। कुछ दिन मैं शेव करूंगा तो ग्रोथ दुरुस्त हो जायेगी।
मैं लगभग हर रोज सुबह उस्तरा फिरवाने उसकी दुकान पर पहुंच जाता। सुबह सवेरे मेरे साथ नाई की दुकान पर एक और व्यक्ति हाज़िर रहता था।
अधेड़ उम्र का आदमी था।
नाई पहले उसकी शेव बनाता। शेव बनाते ही वह नाई को बुरा भला कहना शुरू कर देता।
रोज़ .........हर दिन नाई को कहता ........तेरा हाथ साफ नहीं है......तुझे शेव बनानी ना आती.....तूने तो मेरा चेहरा छलनी कर दिया..... तुने मेरा खून निकाल दिया......आदि इत्यादि।
उसकी एक और आदत थी। नाई उसकी शेव करने के पश्चात आफ्टर शेव लोशन लगाता था। उन दिनों ओल्ड स्पाइस का आफ्टर शेव प्रख्यात था .......शेव के पश्चात ओल्ड स्पाइस लोशन चुभता भी बहुत था।
वह व्यक्ति शेव करवाता .......फिर ओल्ड स्पाइस लोशन लगवाता और फिर ..................फिर वह ऐसी शक्ल बनाता जैसे उसके पीछे से किसी ने कस के लात मार दी हो।
ऐसा सड़ा हुआ चेहरा बनाता की देखने वाले का मुंह भी सड़ जाए।
फिर नाई को दो बातें सुनाता और चला जाता।
मैं काफी दिन तक यह ड्रामा देखता रहा।
मैंने एक दिन नाई से कहा के भाई तू दुकानदार है की किसी का मुलाजिम है। इसे अगर ओल्ड स्पाइस चुभता है तो आज कल ऐसी आफ्टर शेव क्रीम आ गई हैं जो चुभती नहीं है।
इसे वो क्रीम लगा दिया कर। या इसके चेहरे पर फिटकरी लगा दिया कर।
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नाई बोला ......भाई ये मुझसे परेशान ना है। यह अपने आप से परेशान है। ये बेवकूफ स्वभाव का ही कड़वा है । इसके बुरे स्वभाव के कारण इसकी लुगाई किसी दूसरे मर्द के साथ चक्कर चल गया। वह कुछ साल पहले इसे तलाक दे कर उस मर्द के साथ सेटल हो गई। एक लड़का है उससे भी अपने कड़वे स्वभाव के कारण बनती नहीं है।
दिन भर जहरीली बातें सोचता है तो यहां भी जहर ही उगलेगा। इसे आफ्टर शेव से जलन नहीं होती। इसे जलन दिलोदिमाग में हो रही होती है।
यह वास्तविकता है। दिन भर में हमें बकवास करने वाले ........उपहास करने वाले .......कुंठाएं व्यक्त करने वाले लोग मिलते हैं। अक्सर कुछ उल्टा सीधा भी कह देते हैं। अब हम भी मोम के बने पुतले तो हैं नहीं........कोई एक कहता है तो हम दो सुना देते हैं।
लेकिन समझदारी इसी में है की जहां तक संभव हो .......अंतर्मन से जले फूंके लोगों से दूर रहना चाहिए। बेवजह आलोचना करने वालों से .....उपहास करने वालों से दूरी बना बना कर रखनी चाहिए।
किसी के अंदर जहर है तो वह ज़हर ही उगलेगा।
इस धरा पर आज भी एक बहुत बड़ा वर्ग है जो आनंदित है। जो अंतःकरण से प्रसन्न है.....अल्हादित है उल्लासित है । जिसे आलोचनाओं में नहीं प्रशंसाओं में रस मिलता है। जो रुकावटें नहीं संभावनाएं देखता है। जो संकट नहीं सुअवसर तलाशता है।
आज का प्रसंग ही देख लीजिए, लगभग पूरा भारत स्वतंत्रता के 75 वर्षों के अमृत महोत्सव से आनन्दित है, ख़ुश है, उल्लास उमंग में है, तो कुछ कुढ़े मन से भी मिल जाएंगे, गलतियां निकलेंगे, तिरंगे पर लम्प संप ज्ञान देंगे ,पर ख़ुद आंनद में न आएंगे । बस , भूलें - गलतियां ढूंढेंगे ।
अंग्रेजी में एक शब्द है .....Toxic ........।
संभव हो तो Toxic लोगों से दूर रहें। अगर पास भी हैं तो उन्हें ऐसे नजरंदाज करें जैसे मोदीजी केजरीवाल को करते हैं।
पंरतु किसी भी वजह से अगर आप किसी भी टॉक्सिक व्यक्ति की बकवास से स्वयं को प्रभावित कर रहे हैं तो यकीन मानिए इसमें उस व्यक्ति की कोई गलती नहीं है।
शत प्रतिशत गलती आपकी है।
*हम सारी दुनिया को सुधार नहीं सकते ......लेकिन अपनी मानसिक शांति ....स्थिरता और आनंद हेतु हम चंद सिरफिरे लोगों को नज़रअंदाज़ जरूर कर सकते हैं।*
इग्नोराय करना सीखिए ।
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