शनिवार, 11 मार्च 2023

पहला कदम

 

सुनामी की हृदय विदारक घटना के बाद तमिलनाडु निकलने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका "आनंद विकटन" में एक सच्ची कहानी छपी थी।

एक दिन उनके कार्यालय में जयकुमार नाम का एक मछुआरा अपनी पत्नी राजवल्ली और दस वर्षीय पुत्र उदय के साथ पहुंच गया और कहा कि सुनामी में मेरे पुत्र के गुम जाने के बाद आपके समाचार पत्र में इससे संबंधित खबर छपी थी जिसके बाद सरकार की ओर से मेरे पुत्र को लापता/ मृत जानकर सरकार ने हमें एक लाख रुपए की राशि दी थी। अब चूंकि हमारा पुत्र जीवित है और वापस आ गया है तो आप इस राशि को सरकार को लौटाने में हमारी मदद करें क्योंकि स्थानिक प्रशासन ने ढेरों कागजी कार्यवाही का हवाला देकर यह राशि वापस लेने से मना कर दिया है।

अखबार वालों ने कहा - तो क्या हुआ पैसे रख लो।

उस गरीब मछुआरे ने कहा - नहीं! हमारे पुत्र का लौट आना ही सबसे बड़ा पारितोषिक है तो और हमें कुछ नहीं चाहिए। यह राशि अब रखना हमारे लिए अनैतिक होगा अतः आप इसे वापस करा दें।

भारत का मूल चरित्र यही है, यही है पाथेय कण जिसे भारत का  वो वर्ग सीख सकता है जो कभी जाति, कभी बोली, कभी क्षेत्र तो कभी पांथिक आधार पर या तो स्वयं अनैतिक और भ्रष्ट व्यवहार करता है या फिर अनैतिक और भ्रष्ट आचरण वालों को चुनता है, अपना नेतृत्व करने देता है।

जातिवादी नेता को वोट देकर ये अपेक्षा करना कि सर्व समाज का हित होगा, चरित्रहीन नेताओं को चुनकर ये मान लेना कि नारी सम्मान अक्षुण्ण रहेगा, क्षेत्रवादी नेता को प्रोत्साहन देकर ये सोच लेना कि राष्ट्रीय एकात्म भाव बना रहेगा और सत्ता के लिए सौदे- समझौते करने वालों को आदर देकर ये तय कर लेना कि राष्ट्र को अब कोई खतरा नहीं है, इस देश के दुर्भाग्य का कारण है, जिसके सबसे बड़े जिम्मेदार हैं यहां का कथित पढ़ा- लिखा समाज।

"नैतिकता" अंतरात्मा की शुद्धि के सिवा किसी चीज से नहीं आ सकता न उच्च शिक्षा से, न धन से और न ही किसी पद या प्रतिष्ठा से।

नैतिक बनना ही मनुष्य बनने की  यात्रा है, पहला क़दम है !!

_________🌱_________
*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
https://chat.whatsapp.com/FxWnW494ZioDN1JmiiMDEv
_________🌱__________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य