कुमार सतीश जी बतलाते है कि जब मैं बच्चा था तो मम्मी मुझे डराने के लिए कहती थी.... गर्मी के दोपहर में बाहर खेलने मत जाया करो...
क्योंकि, बाहर में लकडसुंघा घूमते रहते हैं.
वो तुम्हें .... किसी गिफ्ट (चॉकलेट आदि) का लालच देकर तुम्हें एक लकड़ी सुंघा कर बेहोश कर देंगे और फिर बोरे में भर कर लेकर भाग जाएंगे.
तो.... उस समय मेरे मन में लकडसुंघा की जो काल्पनिक छवि उभरती थी.... वो होती थी कि...
एक बूढ़ा आदमी अपने एक कंधे पर बोरा/बड़ा सा झोला टांगा हुआ है और वो बच्चों को गिफ्ट बांट रहा है.
समझ लो कि... ठीक अपने संता भैया की ही छवि उभरती थी.
ये तो बहुत बाद में पता लगा कि.... ये लकडसुंघा करके कोई नहीं होता है और वो मम्मी सिर्फ हमें डराने के लिए ही बोलती थी...!
साथ में ये भी पता चला कि.... भले ही लकडसुंघा एक काल्पनिक पात्र है... लेकिन, समाज में फ्रॉड तो होता ही है.
जैसे कि...
अभी हाल फिलहाल में ही ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाओं में काफी वृद्धि देखने को मिल रही है.
फ्रॉड भी ऐसा ऐसा कि सर घूम जाए.
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उदाहरण के लिए ...
हम सब जानते हैं कि.... किसी को अपने बैंक का डिटेल , क्रेडिट/डेबिट कार्ड का नंबर , पासवर्ड आदि नहीं देना चाहिए क्योंकि वो ऑनलाइन फ्रॉड होता है.
लेकिन, अब फ्रॉड का एक नया चलन आया है.
जिसमें... एक आदमी आपके घर कोई पार्सल डिलीवरी देने को आता है...!
लेकिन, चूँकि... आपने ऐसा कोई आर्डर नहीं किया होता है तो आप वो पार्सल डिलीवरी देने से मना कर देते हैं.
फिर, वो डिलीवरी बॉय कहता है कि... सर, अगर आप पार्सल नहीं लेना चाहते हैं तो फिर इस आर्डर को कैंसिल करना होगा.
लेकिन, जब आपने आर्डर ही नहीं किया है तो भला आप उसे कैंसिल कैसे करेंगे.
फिर, डिलीवरी बॉय खुद अपने मोबाइल से आर्डर कैंसिल करने का एक उपक्रम करता है और उस प्रोसेस को पूरा करने के लिए आपके मोबाइल में आया OTP मांगता है.
असल में वो पासवर्ड ... किसी आर्डर कैंसिलेशन का नहीं बल्कि आपके बैंक के ट्रांसेजक्शन को कंप्लीट करने का OTP होता है.
इसीलिए, इधर आपने उसे वो OTP दिया और उधर आपके बैंक एकाउंट से पैसा निकाल लिया जाता है.
तथा... ऐसे फ्रॉड सिर्फ आजकल नहीं हो रहे हैं बल्कि आज से पहले भी जब ऑनलाइन का जमाना नहीं था तो ऐसे फ्रॉड देखने को आते थे कि आपको एक भारी सा पार्सल आ जाता था (TO PAY के रूप में)
आप उसे किसी का भेजा हुआ गिफ्ट समझ कर वो पार्सल छुड़वा लेते थे.
बाद में पार्सल खोलने पर पता लगता था कि अरे यार.... आपको तो चूसिया बनाया गया है... क्योंकि, पार्सल के नाम पर ईंट-पत्थर या लकड़ी के टुकड़े भेज कर आपसे मोटी रकम वसूल कर ली गई है..!
तो, कहने का मतलब है कि.... धोखाधड़ी कोई नई बात नहीं बल्कि जब से इंसानों में बुद्धि का विकास हुआ है... धोखाधड़ी तब से चली आ रही है.
क्योंकि... गिफ्ट के नाम पर धोखाधड़ी करना एक बहुत पुरानी समस्या है.
अंतर सिर्फ ये है कि.... गिफ्ट के नाम पर हाल फिलहाल में धोखाधड़ी पैसों की जाती है..
जबकि, पहले ये धोखाधड़ी ... संता भैया द्वारा मजहब की... की जाती थी.
महजब की धोखाधड़ी का मतलब ये है कि.... पार्सल के रूप में आप को पैकेट में कंकड़-पत्थर वाला मजहब पकड़ा दिया जाता था... और, आपसे आपके शुद्ध स्वर्णिम धर्म को ले लिया जाता था.
खैर...
चूँकि... पार्सल और OTP के द्वारा धोखाधड़ी की ये परंपरा बेहद पुरानी है.
इसीलिए.... ऐसे कोई भी लोग ... जो आपको मुफ्त में गिफ्ट दे अथवा गिफ्ट देने का लालच दे कि.... "हम आएंगे और तुम्हारे लिए गिफ्ट लाएंगे" से बेहद सावधान रहने की जरूरत है.
क्योंकि, उस तथाकथित मुफ्त की कीमत.... आपके धर्म से लेकर, परंपरा और सभ्यता-संस्कृति तक हो सकती है.
इसीलिए... जागरूक रहें.. सुरक्षित रहें... एवं, डंडा थैरेपी से ऐसे मुफ्त के गिफ्टिये का इलाज करते रहें...!
क्योंकि, लकडसुंघा भले ही काल्पनिक हो... 
लेकिन, फ्री गिफ्ट के नाम पर धोखाधड़ी करते दिखते ये सब कोई कल्पना नहीं है.
 
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