साक्षात्कार चल रहा था !
नोकरी बड़ी अच्छी और अच्छे वेतन वाली थी साक्षात्कार में कई युवक आये हुए थे !
सभी युवक अच्छे पढ़े लिखे एवं सुसंस्कृत थे !
चपरासी ने आकर पहले युवक को आवाज लगाई !
युवक अपनी फ़ाइल ले कर चेम्बर में घुसा और बोला में आई कमिंग सर ?
साक्षात्कार लेने वाले ने कहा "यस" थैंक यू कहकर युवक अंदर चला गया और सामने वाली कुर्सी पर बेठ गया !
साक्षात्कार लेने वाले उसकी फ़ाइल देखीं वैरी गुड कह पुछा :
"एक बात बताइये आप कही जा रहे है
आपकी कार टू सीटर है!
आगे चलने पर एक बस स्टैंड पर आपने देखा कि तीन व्यक्ति बस के इंतजार में खड़े है!
उन में से एक वृद्धा जो कि करीब ९० वर्ष की है
तथा बीमार है अगर उसे अस्पताल नहीं पहुचाया गया तो इलाज न मिल सकने के कारण मर भी सकती है!
दूसरा आपका एक बहुत ही पक्का मित्र है जिसने आपकी एक समय बहुत मदद कि थी
जिसके कारण आप आज का दिन देख रहे है!
तीसरा इंसान एक बहुत ही खूबसूरत युवती है जिसे आप बेहद प्रेम करते है जो आपकी ड्रीम गर्ल है
अब आप उन तीनो में से किसे लिफ्ट देंगे आपकी कार में केवल एक ही व्यक्ति आ सकता है !
युवक ने एक पल सोचा फिर जवाब दिया" सर में अपनी ड्रीम गर्ल को लिफ्ट दूंगा "
साक्षात्कार लेने वाले पुछा क्या ये ना इंसाफी नहीं है ?
युवक बोला नो सर वृद्धा तो आज नहीं तो कल मर जायेगी।
दोस्त को में फिर भी मिल सकता हूँ पर अगर मेरी ड्रीम गर्ल एक बार चली गई तो फिर में उससे दुबारा कभी नहीं मिल सकूंगा !
साक्षात्कार लेने वाले ने मुस्कुरा कर कहा वेरी गुड में तुम्हारी साफ साफ बात सुन कर प्रभावित हुआ अब आप जा सकते है !
थैंक यू कहकर युवक बाहर निकल गया !
साक्षात्कार लेने वाले ने दूसरे प्रत्याशी को बुलाने के लिए चपरासी को कहा!
साक्षात्कार लेने वाले ने सभी प्रत्याशिओं से उपरोक्त प्रश्न को पुछा विभिन्न प्रत्याशियों ने विभिन्न उत्तर दिए !
किसी ने वृद्धा को लिफ्ट देने किसी ने दोस्त को लिफ्ट देने कि बात कही !
जब एक प्रत्याशी से ये ही प्रश्न पुछा तो उसने उत्तर दिया
"सर में अपनी कार कि चाबी अपने दोस्त को दूंगा और उससे कहूंगा कि वो मेरी कार में वृद्धा को लेकर उसे अस्पताल छोड़ता हुआ अपने घर चला जाये !
में उससे अपनी कार बाद में ले लूंगा और स्वयं अपनी ड्रीम गर्ल के साथ बस में बैठ क़र चला जाऊँगा !
साक्षत्कार करने वाले ने उठ क़र उस से हाथ मिलाया और कहा यू आर सलेक्टेड!
थैंक यू सर कह क़र युवक मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया !
साक्षत्कार समाप्त हो चुका था !
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जीवन में अपने कर्म , अपनी कार्यस्थली को सहेजते हुवे भी पारिवारिक दायित्व के साथ समाज - राष्ट्र के कर्तव्यों का पालन होता रहे, ऐसी सोच विकसित करते रहें, सहजता से सकारात्मक होते रहें ।
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