शनिवार, 15 अक्टूबर 2022

अपना अपना भाग्य

चंद्रवती मेरे घर करीब बीस साल रही। बीस साल से अधिक समय तक वो हमारे घर के काम करती रही। बर्तन धोने से लेकर झाड़ू-पोछा और कपड़ों की धुलाई तक का ज़िम्मा उसी पर था। शुरू में करीब दो सौ रूपए महीने उसकी सैलरी तय हुई थी, जो धीरे-धीरे बढ़ कर कई हज़ार रूपए होती चली गई। जैसे-जैस मेरी सैलरी बढ़ती गई, उसकी सैलरी भी बढ़ाता गया।
चंद्रवती क्योंकि सिर्फ हमारे घर काम करती थी इसलिए जब मैं कुछ सालों के लिए अमेरिका चला गया, तब भी हमने चंद्रवती को नौकरी से नहीं हटाया। हमने उसे घर की एक चाबी दे दी थी कि तुम हफ्ते में एक दिन घर की सफाई करती रहना, तुम्हारे पैसे एकाउंट में ट्रांसफर होते रहेंगे। ऐसा ही हुआ। हम अमेरिका में रहे, चंद्रवती यहां हमारे पीछे भी घर की देखभाल करती रही और जब हम वहां से वापस आए तो फिर वो पूरी तरह काम पर लग गई।
पिछले साल जब हमने पुराना मुहल्ला छोड़ा तो चंद्रवती का साथ भी छूट गया।
हम नए घर में आए तो मन में यही था कि चंद्रवती को जो सैलरी हम दे रहे थे, वो पैसे अब बच जाएंगे, क्योंकि नए मुहल्ले में हम जिसे भी काम पर रखेंगे, उसे उतने पैसे नहीं देने होंगे। चंद्रवती तो बीस साल से अधिक हमारे साथ रही, मेरा बेटा उसकी गोद में खेला और उसने हमारे घर की देखभाल घर के सदस्य के रूप में की, तो उसे हम जितने पैसे देते थे, वो आम काम वाली की सैलरी से दुगुना-तिगुना अधिक था। ऐसे में हमारे पास काम वाली के हिस्से के आधे से अधिक पैसे बचने थे।
पर नहीं बचे।
ऐसा मत सोचिएगा कि   पैसों के बचने से बहुत खुश हो रहे थे, दरअसल मैं आपको जिस सच्ची घटना के बारे में बता रहा हूं, उसका आधार एक छोटी सी कहानी है। वो कहानी भी आपको सुनाऊंगा, हो सकता है आपने पढ़ी भी हो, पर पहले आप मेरी आपबीती सुनिए। हमने जब नया घर लिया तो सभी खर्च जोड़ लिए। सबका हिसाब बना लिया। हमने ये भी जोड़ लिया कि चंद्रवती की सैलरी के इतने पैसे जो हमें कामवाली पर नहीं खर्च करने, वो बच जाएंगे।
पर हम तब ये जोड़ना भूल गए कि घर के पीछे लॉन की देखभाल कौन करेगा। नए मकान में शिफ्ट हुए हो गया तब अचानक याद आया कि इतने बड़े लॉन की देखभाल के लिए तो एक माली चाहिए। माली ढूंढा गया। उसने बताया कि वो इतने पैसे महीने में बतौर सैलरी लेगा, इतने पैसे खाद-पानी पर खर्च होंगे, इतने पैसे पौधे लाने पर।
पूरा हिसाब जोड़ा गया तो वो चंद्रवती की सैलरी से ऊपर चला गया।
कोई बात नहीं। हमें कोई नुकसान नहीं हो रहा था।
अब सुनिए आगे की कहानी। मेरे पास वर्षों से एक ड्राइवर थ जिसका नाम था आशु। पिछले दिनों आशु ने अपना खुद का काम करने की इच्छा जताई। आशु के बिना मुझे मुश्किल तो होने वाली थी, पर पल भर को हमारे मन में आया कि चलो बीस हज़ार रुपए महीने के बचेंगे।
आशु चला गया। जिस दिन आशु गया, मेरे पास एक छोटा सा फ्लैट है, जो किराए पर लगा था, उसका किराएदार उसे खाली करके चला गया। अब तक वो छोटा सा फ्लैट किराए पर नहीं लगा है। इस तरह बीस हज़ार रुपए ड्राइवर की सैलरी के बचे, किराए वाले मिलने बंद हो गए।
मतलब फिर न फायदा था, न नुकसान हुआ।
अब सुनिए वो कहानी जिसे किसी ने मुझसे साझा किया है।
एक आदमी ने भगवान से पूछा कि ज़िंदगी में उसके हिस्से में कितना धन लिखा है? भगवान ने कहा कि तुम रोज़ एक रूपए कमा सकते हो। आदमी खुश हो गया। वो रोज़ एक रूपए कमाने लगा। उसी में जीने लगा। फिर जिस दिन उसकी शादी हुई अचानक उसे एक रूपए की जगह ग्यारह रुपए का काम मिल गया। आदमी ने फिर भगवान से पूछा कि प्रभु आपने तो एक ही रुपए कमाने की बात कही थी, यहां तो ग्यारह रूपए मिल गए। भगवान ने कहा कि इसका मतलब तुम्हारी शादी हो गई है। वो दस रूपए तुम्हारी पत्नी के भाग्य के हैं। जब  इस कहानी को व्हाट्सऐप पर पढ़ रहे थे, तो चंद्रवती की सैलरी उनकी आंखों के आगे घूमने लगी। मतलब माली जो पैसे मुझसे ले रहा है, वो चंद्रवती के हिस्से की कमाई थी।
उस आदमी की शादी के साल भर बीत गए। उसका एक बेटा हो गया। जिस दिन बेटा हुआ, उस दिन आदमी को किसी काम के बदले 41 रूपए मिले। आदमी खुशी में झूमता हुआ फिर भगवान के मिलने पहुंच गया। प्रभु अब आप क्या कहेंगे? मेरी कमाई तो ग्यारह से बढ़ कर 41 रूपए हो गई।
भगवान ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, वो तीस रूपए तुम्हारे बेटे के भाग्य के हैं।”
आशु जिस महीने गया, उसी महीने मेरा एक छोटा फ्लैट, जो किराए पऱ था, खाली हो गया। पूरे बीस हज़ार रुपए जो  बचे थे, वो उधर से कम हो गए। जानते हैं क्यों?
क्योंकि वो किराया मेरे पास ड्राइवर के हिस्से का आ रहा था।
हम सोचते हैं कि कमाने वाले हम हैं। पर ये सच नहीं है। हमें पता नहीं होता कि हम किसके-किसके भाग्य से कमाई कर रहे हैं। इसलिए जिस पर जितना पैसा खर्च हो रहा है, आप उसके लिए शोक मत कीजिए। यही समझिए कि माध्यम भले आप हैं, पर भाग्य उसका है, जिस पर आपका पैसा खर्च हो रहा है।
मैंने इस सच को कई बार महसूस किया है। आप भी करते ही होंगे।
संसार में जो भी हो रहा है, उसे करने वाला कोई और है। इस छोटे से सत्य को जो समझ गया, वो खुशहाल है। जो नहीं समझ पाता वो रात-दिन खुद की किस्मत को कोसता रहता है।

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*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
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