रविवार, 22 मई 2022

कर्म ही पूंजी

 रचित जी के एक मित्र व्यापारी हैं। 

हाल फिलहाल में उन्होंने अपनी पुरानी गाड़ी बेच कर नई मर्सिडीज खरीदी है। 


बीते बुधवार वह अपनी नई चमचमाती गाड़ी में फेक्ट्री से लंच करने घर आये। 


उन्होंने मर्सिडीज घर के बाहर पार्क कर दी। 


घर में धर्मपत्नी के हाथ का बना लज़ीज़ खाना खाया। 

खाना खा कर कुछ समय सुस्ताने लगे। 

इसी बीच फेक्ट्री से एक अर्जेंट कॉल आई। 

वह घर के बाहर आये। 

गाड़ी की ओर देखा तो उसकी दोनो टेल लाइट टूटी हुई थी। 

स्पष्ट था के किसी ने पत्थर मार कर लाइट्स को फोड़ दिया था। 

एक लग्जरी कार की लाइट्स की क्या कीमत होती है ....यह मैं बताना नहीं चाहता। 


उनके घर के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगे हैं। कैमरा में एक शक्स का चेहरा कैद हुआ। 

वह सड़क पर चल रहा था। अचानक उसे एक चमचमाती मर्सिडीज दिखाई दी। उसने दाएं देखा.....फिर बाएं देखा। फिर आगे पीछे देखा। 


फिर उसने बगल में रखी ईंट उठाई ..... टेल लाइट्स पर पर प्रहार किया और सरपट वहां से भाग गया। 


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अब इसे सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य.......लाइट्स फोड़ते व्यक्ति को हमारे मित्र के घर कार्यरत नौकर ने पहचान लिया। 


जहां रचित जी के  मित्र की कोठी है......उससे ठीक पांच कोठियां बाद एक व्यापारी का आलीशान मकान है। 

लाइट्स फोड़ने वाला व्यक्ति उनके घर में चौकीदारी करता था। 


उसे बुलाया गया। उसे पूछा के भाई ...... यह शुभकार्य जो तूने किया है.....किस खुशी में किया है? 


वह खामोश रहा। 

फिर उससे कहा के सच सच बता दे ......नहीं तो सच उगलवाने के कई तरीके हैं।।


मारे डर के वह फूट फूट के रोने लगा। 

बोला आप सेठ लोग के पास सारी दौलत है......सारा पैसा है.....हमारे पास तो इतना रुपया भी नहीं है के घरवाली का इलाज करवा सकें। 


उसकी बात सुन सब सकपका गए। 


उसे पानी पिलाया.....फिर लिम्का पिलाई गई.....फिर जब वह नार्मल हुआ तो उसने बताया के वह झारखंड का रहने वाला है ......चौकीदारी करता है। पत्नी बीमार है। इलाज करवाने के लिये पहले ही मालिक से एडवांस ले चुका है। 

...........और पैसे मांगने की हिम्मत नहीं हो रही और पत्नी के इलाज का खर्च बढ़ता जा रहा है। 


इसी झल्लाहट में वह बीते बुधवार मित्र के घर के आगे से निकला ......उसे नई गाड़ी खड़ी दिखाई दी और उसने गुस्से में उसकी लाइट्स फोड़ दी। उसे लगा के उसकी गरीबी का मूल कारण ......"सेठ लोग" हैं।  


अब कायदे से ऐसे आदमी का क्या इलाज बनता है। 


पुलिस के हवाले कर दें। 

मार मार कर मोर बना दें। 

नहीं।  

संभवत आपको जान कर हैरानी होगी के जिस घर में वह चौकीदारी करता है.....उसके मालिक से हमारे मित्र ने संपर्क किया।


दोनो ने  मिल कर रांची के एक मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में संपर्क स्थापित किया। 


बीते शनिवार चौकीदार की पत्नी का इलाज हॉस्पिटल में शुरू हो चुका है। 


इलाज के खर्च का एक हिस्सा वह व्यक्ति संभाल रहा है जिसकी चमचमाती गाड़ी की लाइट्स को बेवजह फोड़ दिया गया था। 


.........और यकीन मानिये के यह उस व्यक्ति की महानता नहीं है .......यह उसका स्वभाव है। उदारता उसका स्वभाव है। पार्ट आफ नेचर है ।  


भारत रत्न स्वर्गीय अटल जी ने कहा था......."छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता"


जो आगे बढ़ रहे हैं उनका मन उदार है.....उनका ह्रदय.....बड़ा है.....विराट है। 


गरीब को लगता है के उसकी गरीबी का कारण चमचमाती गाड़ी में बैठा सेठ है! 


समाजवाद तो गरीब का मूल कारण ही पूंजीवाद को मानता है। 


लेकिन .......पूंजीवाद से घृणा बेमानी है.....बेतुकी है। 

उस घृणा का मूल कारण किसी की सफलता नहीं है.....उसका मूल कारण स्वयं की असफलता है। 


गाड़ी की लाइट्स फोड़ता व्यक्ति अपने दुःख से ........दुखी नहीं है.....वह किसी सफल व्यक्ति के........ सुख से .........दुखी है। 


संभव हो तो ईर्षा छोड़ के अपने हृदय को उदार कीजिये। प्रयास कीजिये के आप भी किसी दिन धन संपत्ति अर्जित कर सकें। 

पूंजीवाद से घृणा कर कुछ हासिल ना होगा...... हां.......अनुसरण करने से बहुत कुछ हासिल होगा। 


130 करोड़ जनसंख्या के इस राष्ट्र में .......कामयाबी के करोड़ों रास्ते खुले हुऐ हैं। 

सवाल यह है के हम अपने लिये कौनसा रास्ता चुनते हैं। 

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