सोमवार, 16 मई 2022

परिवार

 


महाभारत काल में जब पांडव वनवास काल में थे तो अपना जीवन एक कुटिया में रहकर बिता रहे थे जिसके बारे में जब दुर्योधन को पता चला तो उसने पांडवों को नीचा दिखाने के लिए पूर्ण ऐश्वर्य के साथ वन में जाने की सोची ताकि वो पांडवो को ईर्ष्या से जलता देख सके |

जब दुर्योधन वन के लिए निकला | तब उसकी रास्ते में गंधर्वराज से मुलाकात हुई | उसी वक्त दुर्योधन ने सोचा कि गंधर्वकुमार को हराकर पांडवो को अपनी ताकत का प्रमाण देना का अच्छा मौका हैं | ऐसा सोच उन्होंने गंधर्व राज पर आक्रमण कर दिया लेकिन गन्धर्व राज अत्यंत शक्तिशाली थे | उन्होंने दुर्योधन को हरा दिया और उसे बंदी बना दिया | जब इसकी सुचना पांडवो को मिली तब युधिष्ठिर ने भाईयों को आदेश दिया कि वे जाकर दुर्योधन को वापस लायें | यह सुनकर भीम ने कहा – भ्राता ! यूँ तो दुर्योधन हमारा भाई हैं लेकिन वो सदैव हमारा अहित सोचता हैं तो ऐसे में उसकी मदद क्यूँ की जाये | तब युधिष्ठिर ने उत्तर दिया – भले ! हमारा और हमारे भाईयों का बैर हैं लेकिन वो एक घर की बात हैं जिसे जग जाहिर करना गलत हैं |पारिवारिक झगड़े परिवार में ही रहे उसी में परिवार की इज्जत हैं |इसे यूँ प्रदर्शित करना पूर्वजो का अपमान हैं |बड़े भाई की आज्ञा मान पांडव गंधर्वराज से युद्ध करते हैं और दुर्योधन को छुड़ा लाते हैं |

आज कल परिवार में झगड़े बढ़ते ही जा रहे हैं  , लेकिन ये आम बात हैं ,परन्तु इनका बयान अन्य के सामने करना गलत हैं | इससे जग हँसाई होती हैं और आपके परिवार की कमजोरी सभी के सामने उजागर होती हैं |

परिवार में कितना ही बैर क्यूँ ना हो लेकिन विपत्ति में हमेशा अपनों का साथ देना चाहिये |
बुजुर्ग कह गए हैं -
रहना भाइयों संग ही, भले बैर हो !
खाना माँ के हाथ का ही, भले जेर हो !! (जेर - जहर )
  
आजकल आम बात में परिवार में मनमुटाव हो जाता है , लेकिन अगर इसकी भनक दूसरों को लगती हैं तो वे आपका मजाक उड़ाते हैं | साथ ही इसका फायदा उठाकर आपको नुकसान भी पहुँचा सकते हैं |

अगर आप परिवार के झगड़ों की बाते अन्य के सामने करते हैं तो आपके बुजुर्गों एवम उनके संस्कारों पर लोग प्रश्नचिन्ह लगाते हैं जिससे परिवार की साख मिट्टी में मिल जाती हैं | अतः जहाँ तक हो सके, कोशिश करें कि पारिवारिक मनमुटाव को परिवार में ही सुलझाएं, उसका बाहर बयान कर परिवार की नींव कमज़ोर ना करें |

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