शनिवार, 21 अक्टूबर 2023

रावण महान था ????

 

"रावण तो महान था। उसने सीता का अपहरण अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए किया था। और उसने सीता को ससम्मान लंका में रखा, कोई जबरदस्ती नहीं की।"

बस दो-चार दिन में आपको कई जगहों पर ऊपर लिखी बातें पढ़ने को मिलेंगी। और विश्वास जानिए, हममें से अधिकांश ऐसे हैं जो इन बातों पर कहते मिल जाते हैं, बल्कि उनका दृढ़ विश्वास है कि ऐसे लोगों और ऐसे लेखों को इग्नोर कर देना चाहिए।

जबकि होता यह है कि आम जनता जो अपने दैनिक कामों में, रोजमर्रा की जिंदगी में उलझी है, वह इतनी सरल और स्पष्टता से लिखी बात को, इस लॉजिक को सही मान लेती हैं।

पर क्या यह सब सही है? सच में रामायण में ऐसा है?

रामायण के अनुसार, शूर्पणखा बहुत ही गंदी, घिनौनी दिखने वाली, गंदी सोच और व्यवहार वाली स्त्री है। वह वन में सुंदर शरीर के स्वामी राम को देखती है तो उनपर मोहित हो जाती है। माया से (मतलब मेकअप वगैरह करके) राम के पास आती है और उन्हें प्रपोज करती है। यहाँ तक कोई बुराई नहीं है। किसी को कोई पसन्द आ जाये तो प्रपोज करना गलत नहीं है। पर राम द्वारा यह बताने पर कि वे अयोध्या के राजकुमार हैं और वनवास मिलने के कारण अपनी पत्नी और भाई के साथ वन में आए हैं, शूर्पणखा सीता और लक्ष्मण को मार देने की बात कहती है, ताकि राम इत्मीनान से उसके साथ मौज कर सकें। वो सीता को चिपके पेट वाली, कमजोर, बदसूरत वगैरह भी कहती है।
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ऐसी बातों को सुनकर, मतलब कोई आपकी पत्नी की बेइज्जती करे, उसे और आपके भाई को मारने की बात करे, तो किसी को भी गुस्सा आएगा। पर समझदार लोग इन बातों को किसी पागल का प्रलाप मानकर हँसी में उड़ा देते हैं।

ऐसी बातों को सुनकर राम परिहास में कहते हैं कि वे तो अपनी पत्नी के साथ हैं, लक्ष्मण नहीं हैं, अतः वो लक्ष्मण से पूछ ले। लक्ष्मण की सहमति हो तो उनसे विवाह कर लें। फिर वो लक्ष्मण के पास जाती है और उन्हें प्रपोज करती है। लक्ष्मण उत्तर देते हैं कि वे तो राम और सीता की सेवा करते हैं, अगर शूर्पणखा को अपना लेंगे तो उसे भी राम और सीता की सेवा करनी पड़ेगी।

दोनों पुरुषों द्वारा नकारे जाने पर वह गुस्से में आकर सीता को मारने दौड़ती है, जिसपर राम शूर्पणखा को दंड देने के लिए लक्ष्मण को आदेश देते हैं और लक्ष्मण उसके कान और नाक काट लेते हैं।  (अरण्यकाण्ड, 17वाँ और 18वाँ सर्ग)

बताइए। प्रपोजल पर कोई दिक्कत नहीं थी किसी को, धमकी तक तो बर्दाश्त कर लिया, पर अटेम्प टू मर्डर पर सजा तो मिलेगी न?

फिर शूर्पणखा दंडकारण्य के गवर्नर (रावण के ऑक्युपाइड साम्राज्य के उस क्षेत्र के गवर्नर) खर के पास जाती है। खर अपने सेनापतियों दूषण और त्रिशरा तथा चौदह हजार सेना के साथ राम-लक्ष्मण को मारने आता है, जिन्हें अकेले राम लगभग सवा घण्टे (तीन घड़ी) में निपटा देते हैं। [एक मुहूर्त = दो घड़ी, एक घड़ी = 24 मिनट]

उन राक्षसों में से एक अकम्पन जान बचाकर निकल जाता है और लंका पहुँचकर इस युद्ध के बारे में रावण को बताता है। रावण राम-लक्ष्मण को मारने और सीता को उठा लाने की तैयारी करता है। वह मारीच के पास जाता है। मारीच उसे राम की ताकत बताता है, बताता है कि राम से लड़कर क्यों अपनी जान खामख्वाह गंवाना चाहते हो, बेमौत मरोगे, इत्यादि। यह सब सुनकर रावण ठंडा हो जाता है और अपने महल लौट जाता है। (अरण्यकाण्ड, 31वाँ सर्ग)

कुछ समय (दिन, या हफ्ते) बाद शूर्पणखा रावण के पास आती है और सीता जी के अद्भुत सौंदर्य का वर्णन करती है। ऐसा वर्णन कि मैं उसे यहाँ लिख नहीं सकता। कहती है कि उसने सोचा कि ऐसी सुंदर स्त्री तो उसके भाई रावण के पास होनी चाहिए, तो वह अपने भाई के लिए उस स्त्री को उठाने गई, और दुष्ट लक्ष्मण ने इस बात पर उसके कान-नाक काट लिए। (अरण्यकाण्ड, सर्ग 34, श्लोक 21)

बताइए, वह अपनी बात, अपनी कामपिपासा छुपा ले गई, सीता को मारने चली थी, और रावण को बता रही है कि वो तो रावण के लिए सीता को उठा रही थी। ऐसी तो सत्यवादी बहन थी वह।

रावण शूर्पणखा का बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि स्त्रियों के प्रति अपनी भूख के कारण सीता को किडनैप करने गया था।

वह पहले भी कई स्त्रियों का हरण कर चुका था। वो यह बात खुद कहता है कि मैं इधर-उधर से बहुत सारी सुंदर स्त्रियों को हर लाया हूँ (अरण्यकाण्ड, 48वां सर्ग, श्लोक 28)। क्या इन बहुत सारी सुंदर स्त्रियों के पतियों ने भी उसकी बहन का अपमान किया था?

उसने भोगवती नगरी में नागराज वासुकी को हराया था। तक्षक को हराकर उसकी पत्नी को उठा लाया था। पर सीता के मामले में, अपने समान बलशाली खर, दूषण और त्रिशरा, और चौदह हजार राक्षसों का राम द्वारा बस सवा घण्टे में वध कर दिए जाने के कारण, फिर मारीच के समझाने के कारण उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह राम से लड़कर सीता को उठा सके। तो उस तथाकथित महान रावण ने चोरों की भाँति सीता का हरण किया। बेचारे मारीच की बलि चढ़ा दी, जो पहले भी राम से दो बार पिट चुका था।

किडनैप कर लिया, फिर भी सीता के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की, तो इसपर भी सुन लीजिए।

जब रावण सीता जी का हरण कर लंका लाया और अपने महल के ऐश्वर्य को दिखा-दिखाकर उन्हें ललचाने का, बात मान जाने का प्रलोभन दे रहा था, तब माता सीता उसे खूब खरीखोटी सुनाने के बाद कहती हैं कि तू इस संज्ञाशून्य शरीर को बांधकर रख या काट, मैं खुद ही इस शरीर और जीवन को नहीं रखना चाहती। (अरण्यकाण्ड, 56वां सर्ग, श्लोक 21)

मतलब क्या हुआ इस बात का? यही न कि तू मेरे निकट आएगा उससे पहले ही मैं मर जाऊंगी।

इसपर 'स्त्री को ससम्मान रखने वाला महान रावण' कहता है कि ठीक है, मैं तुझे 12 महीने का समय देता हूँ। इतने समय में तू अपनी मर्जी से मेरे पास आ जाना। और अगर 12 महीने बाद भी तू मेरे पास नहीं आई तो मेरे सुबह के भोजन के लिए रसोइए तुझे काटकर पका देंगे। (अरण्यकाण्ड, 56वां सर्ग, श्लोक 24, 25)

कितना महान था न रावण?
----------अजीत प्रताप सिंह जी का लेखन

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