शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

उर्मिला 32

 

उर्मिला 32

    "मेरे एक प्रश्न का उत्तर ढूंढोगी उर्मिला?" लम्बे समय से पसरी शान्ति को भंग करते हुए माता कैकई ने अपने निकट ही बैठी उर्मिला से कहा।
     "कहिये न माँ! वैसे यह आवश्यक नहीं कि हमारे पास हर प्रश्न के उत्तर हों ही..." उर्मिला ने माता की आंखों में अपनी दृष्टि गड़ाई!
      "मैं नहीं जानती कि इसका उत्तर हमें मिलेगा भी या नहीं, पर यह प्रश्न मुझे सदैव पीड़ा देता रहेगा कि नियति ने इस अपराध के लिए मेरा ही चयन क्यों किया? इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि राम को सबसे अधिक प्रेम मैंने किया है। वह महारानी कौशल्या से अधिक मेरे आँचल में पला है। मेरे दुर्भाग्य के उन चार दिनों को निकाल दो तो अब भी राम को मुझसे अधिक प्रेम कोई नहीं करता, कोई कर भी नहीं सकता। फिर मुझसे ही यह अपराध क्यों हुआ उर्मिला? मैं जानती हूँ कि कोई माया ही थी जिसने उन चार दिनों में मेरी मति फेर दी थी, अन्यथा जिस राम के चार दिन के लिए ननिहाल जाने का समाचार सुन कर मैं तड़प उठती थी, उसके लिए मैं चौदह वर्ष का वनवास मांगती? पर ईश्वर ने इस अपराध के लिए मेरा ही चयन क्यों किया?" कैकई ने जैसे पहली बार अपना मन खोल दिया था। उनके भीतर का लावा बाहर निकल रहा था।
      कुछ देर तक सोचने के बाद उर्मिला ने कहा,"इस प्रश्न का कोई एक उत्तर तो नहीं हो सकता माता! कौन जाने, भइया के जिस वनवास को हम अपने कुल के लिए अभिशाप मान रहे हों, वह संसार के लिए वरदान हो? नियति यदि भइया जैसे यशश्वी युवराज को चौदह वर्ष तक के लिए वन में ले गयी है तो उसकी कोई तो योजना होगी न! अप्रत्याशित घटनाओं के परिणाम भी अप्रत्याशित ही होते हैं माता! फिर नियति की योजनाओं को अशुभ मान कर शोक क्यों मनाना?"
      "मेरे प्रश्न को घुमाओ मत उर्मिला! मैंने यह प्रश्न तुमसे इसलिए किया है क्योंकि तुम जनकपुर की बेटी हो। तुम्हारे नगर में आध्यात्मिक विमर्शों की सबसे प्राचीन परम्परा है। तुम्हारा धर्मज्ञान सर्वश्रेष्ठ है। मेरे प्रश्न का उत्तर ढूंढो उर्मिला, कि नियति ने मेरा ही चयन क्यों किया?"
       उर्मिला के अधरों पर एक पवित्र मुस्कान तैर गयी। कहा, "यदि मैं कहूँ कि आपके दुर्भाग्य का कारण आपका प्रेम है, तो माता? तनिक सोचिये तो! क्या चक्रवर्ती महाराज दशरथ के प्रिय सुपुत्र को संसार की कोई भी शक्ति राज से हटा कर वन में भेज सकती थी? अपने एक बाण से ताड़का और सुबाहू जैसे विकट राक्षसों का वध करने वाले भइया की आवश्यकता यदि वन में थी, तो नियति किसे माध्यम बनाती? उन्हें बल से अयोध्या से दूर नहीं किया जा सकता था, उनसे यह कार्य 'प्रेम' ही करा सकता था। और इसी लिए नियति ने उसका चुनाव किया, जिसे राम से सर्वाधिक प्रेम था और जिनसे राम को भी सर्वाधिक प्रेम था।"
       माता कैकई की आंखें खुली रह गईं! ऐसा नहीं था कि उर्मिला ने उत्तर ने उन्हें पूरी तरह संतुष्ट कर दिया था, पर वे उनसे सहमत अवश्य दिख रही थीं।

क्रमशः
(पौराणिक पात्रों व कथानक लेखनी के धनी श्री सर्वेश तिवारी श्रीमुख द्वारा लिखित ये कथा इतनी प्यारी व आकर्षण भरी लगी, कि शेयर करने के लोभ को रोक न पाया )
_________🌱_________
_________🌱_________
*शनि-रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
https://chat.whatsapp.com/D9mMAYa5xPE0Mhln4IwZE0
________
*आप भी कम्यूनिटी ग्रुप में परिचित को जोड़ सकते हैं ।।*
_________🌱__________
पुराने प्रसंग आप यहाँ देख पाएंगे -
https://dulmera.blogspot.com/?m=1
_________🌱___________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य