कहानी
कानी दाई माँ
मिस्टर मेहरा बहुत बड़े बिजनिस मैन थे। उनका एक एक मिनिट कीमती था। वो इस वक्त बहुत इरिटेड हो रहे थे और झूंझल खा रहे थे। वो कैसी भी परिस्थिति में पेरिस से इंडिया नहीँ आना चाहते थे। एक तो पेरिस में उनकी बिजनिस मीटिंग्स का शिड्यूल इतना टाइट था कि उनके बीच में समय निकालने का मतलब था अपना ढेर सारा नुकसान करना। दूसरा कोई ऐसा कारण भी नहीँ था कि जिसके लिए इंडिया आया जाए। अब उनकी दाई माँ बीमार पड़ गयीं तो वो क्या करें ? कितने ही डॉक्टर हैं इंडिया में। अपना इलाज करवा लें। उनका फेमिली डॉक्टर ही बहुत काबिल है। उन्हें इंडिया बुलाने की क्या ज़रूरत है ? दाई माँ पिछले पंद्रह सालों में उन्हें पच्चीस बार इंडिया बुला चुकी, मगर व्यस्तता के कारण वो एक बार भी नहीं गए।
मिस्टर मेहरा को याद आया कि जब वो छह या सात साल के थे तब एक कार एक्सीडेंट में उनकी माँ और पिताजी दोनों की डेथ हो गयी थी। वो खुद भी बुरी तरह जख्मी हो गये थे। उनकी दाई माँ, जो उनके जन्म लेने के वक्त से ही उनकी देखभाल करती थीं, और कार में साथ थीं, की एक आंख पूरी खराब हो गयी थी। उनके मम्मी पापा के गुज़र जाने के बाद दाई माँ ने ही उन्हें पाला था। मगर एक आंख वाली दाई माँ से मिस्टर मेहरा को हमेशा डर लगता था। वो उसे देख कर चीख पड़ते थे और उससे दूर दूर ही रहते थे। एक बार स्कूल में किसी दिन दाई माँ उन्हें लेने गयी तो क्लास के और बच्चे भी उन्हें देख कर डर गये। तब मिस्टर मेहरा ने उन्हें कह दिया था कि वो उनके सामने कभी न आएं। एक आँख वाली दाई माँ उसके बाद उनके सामने कभी आयी भी नहीँ। वो दूर दूर से ही उनके सारे काम करती थी। टिफिन बनाना, स्कूल ड्रेस रखना, नहाने का पानी रखना, खाना बनाना, बना कर रखना ये सारे काम वो मिस्टर मेहरा को अपना चेहरा दिखाए बिना करती थीं। कभी अपने हाथों में पाले गए बच्चे से उन्हें प्यार करना होता था तो वो मिस्टर मेहरा की फोटो को ही कर लिया करती थी। मिस्टर मेहरा के मम्मी पापा के गुज़र जाने के 12 साल तक मिस्टर मेहरा को उनकी दाई माँ ने ऐसे ही पाला। मिस्टर मेहरा उन्हें कानी दाई माँ कहते थे। जब कभी भी गलती से वो कानी दाई माँ का चेहरा देख लेते थे तो चार पांच रातें डर के मारे उन्हें नींद नहीं आती थी।
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पापा के बैंक में छोड़े हुए पैसे से मिस्टर मेहरा बीस साल की उम्र में विदेश आ गए और एक सफल बिजनिस मैन बन गए। 20 साल की उम्र अब 35 साल हो गयी। इन पंद्रह सालों में पच्चीस बार कानी दाई माँ को मना करने वाले मिस्टर मेहरा आज भी इंडिया जाने के लिए मना करने वाले थे मगर उनके फैमिली डॉक्टर का फोन आया। उसने कहा, 'इस बार कुछ अर्जेंट है। इंडिया आना ही पड़ेगा।'
जैसे तैसे अपनी बिजनिस मीटिंग्स एडजस्ट करके मिस्टर मेहरा इंडिया आये। पता लगा उनकी कानी दाई माँ अब नहीं रही। शमशान घाट पर मुर्दा फूंकने की रस्म निभा कर वो जल्दी से अपने फेमिली डॉक्टर के पास आये और झल्लाये। 'ये मुर्दा जिस्म को आग देने का काम तो कोई भी कर सकता था फिर मुझे क्यों बुलाया ? मेरा कितना नुकसान हुआ होगा वहां, कुछ अंदाज़ा है आपको ? और जिस चेहरे को मैं देखता नहीँ था, जिससे मुझे डर लगता था उसे भी दिखवा दिया आपने। अब मुझे चार पांच रातों तक डर लगेगा। आप समझते नही हैं।' डॉक्टर मुस्कुराया। बोला, 'चार पांच रातों तक नहीँ मिस्टर मेहरा, अब आपको आजीवन डर लगेगा। आपको कानी दाई माँ से नहीँ, खुद अपने आप से डर लगेगा। आप अपना चेहरा नहीं देख पाएंगे आईने में।' मिस्टर मेहरा गुस्से में फट पड़े, 'ये क्या कह रहे हैं आप ?' फैमिली डॉक्टर ने अपनी टेबल की दराज से एक फाइल निकाली और मिस्टर मेहरा को पकड़ाई। बोले, 'कानी दाई माँ ने मुझे कसम दी थी कि ये फाइल मैं आपको न दिखाऊँ। पर अब वो ही नहीँ रहीं तो उनकी कसम भी नहीं रही। देख लीजिए।' मिस्टर मेहरा असमंजस से भरे फाइल देखने लगे।
फाइल में एक कार एक्सीडेंट की रिपोर्ट दर्ज थी। उस कार एक्सीडेंट में एक पति पत्नी की मृत्यु हो गयी थी और उनके 6 साल के बच्चे की एक आंख इंजर्ड हो गयी थी। बाद में एक जटिल ऑपरेशन कर के बच्चे की आंख लगाई गई और बच्चे को आँख देने वाली उस बच्चे की दाई माँ थी। रिपोर्ट पढ़ते पढ़ते मिस्टर मेहरा के हाथ पैर काँपने लगे। आँखों के आगे अंधेरा छा गया। उनका दिमाग सुन्न हो गया। पैर के नीचे से ज़मीन खिसक गई। उन्होंने अपना माथा थाम लिया और वहीं एक कुर्सी पर बैठ गए। फैमिली डॉक्टर ने उनके आगे पानी का ग्लास रख दिया। मिस्टर मेहरा कुछ पल यूंही बैठे रहे और फिर एकदम से सरपट शमशान घाट की ओर दौड़ गए।
शमशान घाट पर जहां उनकी कानी दाई माँ जली थीं वहां वो घँटों दाई माँ, दाई माँ चीखते रहे। चिता की राख को हाथों से हटा हटा देखते रहे और उससे लिपट कर रोते रहे। कानी दाई माँ उन्हें नहीं दिखनी थी, सो नहीं दिखीं। मिस्टर मेहरा सुबकते, हिचकियाँ भरते ये सोचते रहे कि दाई माँ कानी थी पर वो खुद इतने साल अंधे रहे, और अब आगे भी वो अंधे ही रहेंगे, क्योंकि जब जब वो आईना देखेंगे तो उस एक आँख से नज़र कैसे मिला पाएंगे जो उनकी नहीं है, कानी दाई माँ की है।
कथा - शोशल मीडिया द्वारा ।