सोमवार, 5 सितंबर 2022

5 सितम्बर की कहानी

 

पर्दे तो उठेंगे !! सत्य कभी दबा नहीं रह सकता... हाँ, चर्चाओं का समय है , तो जानना जरूरी है!!!

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन,,

आज बहुत मित्रों के मैसेज में इनका चित्र दिखा तो सालों पहले की एक पोस्ट याद आ गई,,

इन्हें भारतरत्न भी मिला है,,

वैसे ये अलग बात है कि भारतरत्न तो और भी बहुत लोगों ने खुद को ही दे लिया था,,यह सब चलता रहता है,,

आजादी के बाद आने वाली पीढ़ियों को गुमराह करने के लिए तमाम झूठे प्रतीक गढे गये हैं..चरखे से मिली आजादी से लेकर नेहरू के बलिदान और महान दार्शनिक राधाकृष्णन तक,,

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शिक्षक_दिवस भी इसी का हिस्सा है,,जैसे आजादी के लिए गांधी परिवार के बलिदान जगत प्रसिद्ध हैं उसी तरह कुछ बातें ये भी जान लेंगे तो हर्ज नहीं,,

*सर्वपल्ली जी का एक कारनामा ये है कि जहां अंग्रेजो ने लाखों क्रांतिकारियों की हत्या की वहीं इन जनाब को सर की उपाधि जरूर दी,,आप समझ सकते हैं अंग्रेजो से कैसी खूनी जंग करनी पड़ी होगी सर की उपाधि के लिए,, कितने अंग्रेजो के सर उड़ाए होंगे,,*

*दूसरा कारनामा ये है कि जैसे नेहरू ने खुद को भारतरत्न दे लिया था ठीक ऐसे ही राष्ट्रपति पद पर रहते हुए इन्होंने भी खुद के नाम पर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस घोषित कर लिया था,,*

*तीसरा कारनामा ये है महान दार्शनिक और पूर्व राष्ट्रपति जी का की जब ये कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे उस समय इनका एक शिष्य  जदुनाथ_सिन्हा भी था,, एक होनहार काबिल मेधावी छात्र,,*
*उन्होंने पीएचडी के लिए अपनी थीसिस जमा करवा दी और सर्वपल्ली जी ने वह थीसिस चुराकर {इंडियन फिलॉसॉफी} नामक पुस्तक अपने नाम से छाप ली जिसने राधाकृष्णन को काफी प्रसिद्ध कर दिया था उन दिनों,,*

हुआ यूं की जदुनाथ सिन्हा की थीसिस इनके पास चेक होने आई थी, जिसको चेक करने मे  इन सर ने पूरे 2 साल लगा दिए,,
इन्हीं दो सालों में ईन्होंने इंग्लैंड में अपनी किताब “इंडियन फिलॉसॉफी” प्रकाशित करवाई, जो कि जदुनाथ सिन्हा की थीसिस थी।

पूरी की पूरी थीसिस राधाकृष्णन ने छपवा दी बिलकुल हूबहू ...एक कोमा तक का अंतर नहीं है।असल में कोमा का अंतर करने के लिए भी बुद्धि चाहिए जो कि ऐसे लोगों के पास नहीं होती,, दरअसल इन्हें डर ही नहीं था पकड़े जाने का ।

जब किताब छप गई तब उस छात्र को  पीएचडी की डिग्री दे दी। मतलब किताब पहले छपी... थीसिस बाद में पब्लिश हुई फिर पीएचडी की डिग्री मिली। अब कोई यह भी नहीं कह सकता था कि इन्होंने चोरी की है,,

गरीब जदुनाथ सिन्हा क्या करता मगर उसने हार नहीं मानी। कलकत्ता हाईकोर्ट में केस कर दिया गया,,
छात्र का कहना था, “मैंने दो साल पहले विश्वविद्यालय में थीसिस जमा करा दी थी। विश्वविद्यालय में इसका प्रमाण है। अन्य प्रोफेसर भी गवाह हैं क्योंकि वह थीसिस #तीन प्रोफेसरों से चेक होनी थी – दो अन्य एक्जामिनर भी गवाह हैं। वह थीसिस मेरी थी और इसलिए यह किताब भी मेरी है। मामला एकदम साफ है...इसे पढ़कर देखिए...."

राधाकृष्णन की किताब में अध्याय पूरे के पूरे वही हैं जो थीसिस में हैं। वे जल्दबाजी में थे, शायद इसलिए थोड़ी बहुत भी हेराफेरी नहीं कर पाए,
किताब भी बहुत बड़ी थी- दो भागों में थी। कम से कम दो हजार पेज। इतनी जल्दी वे बदलाव नहीं कर पाए...अन्यथा समय होता तो वे कुछ तो हेराफेरी कर ही देते।

लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि छात्र जदुनाथ सिन्हा ने कोर्ट के निर्णय से ठीक पहले ही केस वापस ले लिया,,उस समय चर्चा थी कि मामला #वापस लेने के लिए छात्र को 10 हजार रुपए दिए गए थे,,वह बहुत गरीब था और #दस हजार रुपए उसके लिए बहुत मायने रखते थे। दूसरी बात, राधाकृष्णन जैसो लोगो से पंगे लेना कोई समझदारी का काम भी नहीं था। ऐसे में वास्तविक न्याय की उम्मीद जदुनाथ को नहीं रही,,

हां,, ओशो को जब यह पता चला तो उन्होंने समय समय पर अपने व्याख्यानों में यह मुद्दा जोर से उठाया,,ओशो को देश निकाला देने के पीछे जो अनेकों कारण थे उनमें सर्वपल्ली के इस कारनामे को जनता में उठाना भी एक बड़ा कारण था,,

रूस में राजदूत रहते हुए ये किसके लिए कार्य करते रहे यह बच्चा बच्चा जानता ही है,,उसके बाद #राष्ट्रपति बनने के लिए इनके हाथ रूस में कौनसा मोहरा हाथ लगा था जिसके बल पर नेहरू को दबाव में लेकर राष्ट्रपति पद पर बैठे वरना मुँह खोल देते,,वह किस्सा भी काफी दिलचस्प है ही अपने आप में,,आप लोगों को तो खैर पता ही होगा यहां उसकी क्या चर्चा करनी,,

*ऐसे थे हमारे राष्ट्रपति डा. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन भारतरत्न,,*

एक ऐसा व्यक्ति जो  चौर्य कर्म में लिप्त है उसको शिक्षा का प्रतीक बनाकर आजाद भारत के नीति निर्धारको को क्या मिला? कुछ नहीं बस एक और छोटा सा बेहूदा कदम भारत को नष्ट करने के प्रयास में,,

जिनको ये अच्छे लगते हैं वे इनकी पूजा पाठ करें मुझे कोई ऐतराज नहीं,,
मेरा व्यक्तिगत मानना है कि अगर शिक्षक दिवस मनाए बिना रुका ही नहीं जा रहा है तो अपने किसी भी मास्टर या मास्टरनी का नाम लिख लो या फोटो लगा लो भाई,, कुछ भी हो इनसे तो अच्छा ही निकलेगा,,

साभार ,,,

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