चिंतन की धारा....
कोई भी व्यक्ति जब अपने क्षेत्र को छोड़कर कभी अलग जगह जाय तो उसे विशेष सावधानी रखनी चाहिए। वहाँ की मान्यताओं का ख़याल रखना चाहिए। कोई झगड़ा हो गया तो आप सामने वाले से माफ़ी माँगिए और हट जाइए। सामने वाला मार पीटाई पर अड़ जाय तो वहाँ से भाग जाइए। यहीं सबसे उचित रास्ता है। कई बार जीवन में ऐसा हो जाता है की आप सामने वाले को समझाना चाहेंगे तब भी उसे समझ नहीं आएगा।
लेखक ने लिखा है कि
मेरे साथ एक रोचक घटना घटी जब मैं हिमाचल से लौट रहा था। मैंने एक कैब बुक की और फागू से चंडीगढ़ लौट रहा था। तीन घंटे की यात्रा के बाद मैंने और मेरी पत्नी दोनों ने ड्राइवर से कहा की कहीं वाशरूम दिखे तो गाड़ी रोक देना। उसने कई जगह देख पर कुछ नहीं मिला। अंत में शोघी के आगे एक जगह पेट्रोलपम्प था वहाँ उसने वीरान जगह पर गाड़ी रोका। मेरी पत्नी तुरंत सड़क की दूसरी तरफ़ वाशरूम गयीं। अब मुझे भी जल्दबाज़ी थी पर मेरी दोनों बच्चियाँ कार में बैठी हुई थी और ड्राइवर एक अनजान व्यक्ति। अंत में मैंने सड़क पर ही गाड़ी एकदम किनारे लगवा दिया और बर्दाश्त न हुआ तो वहीं पेशाब करना शुरू कर दिया। मैं किसी भी क़ीमत पर अपने बच्चियों को एक अनजान ड्राइवर की गाड़ी में नहीं छोड़ सकता था। अच्छा वहीं पर ट्रक भी खड़ी थी जिससे थोड़ी आड़ हो गयी थी। उस पेट्रोल पम्प से सटा एक रेस्तराँ था जो हाइवे के दूसरी तरफ़ था। अब उसमें से एक आदमी निकला जो मुझे ट्रक के पीछे जाते देख चुका था और आकर मेरे पीछे खड़ा हो गया और गाली देने लगा। खैर मेरे पास मूत्र विसर्जन समाप्त करने के अलावा कोई भी चारा न था 😃😃😃।
फिर उसने कहा की तुमने बहुत बड़ी गलती की है। ऐसे नहीं छोड़ा जा सकता। उसने कहा कि पाँच सौ रुपया जुर्माना निकालो, मैंने कहा यह - मैं देने को तैयार हूँ। फिर अचानक हाथ में लिए लाठी को उठाकर मारने की धमकी देने लगा। मुझे समझ आ गया था की उस वीरान जगह में भी उसके साथ तीस चालीस लोग इकट्ठे हो जाएँगे। खैर मैंने उससे कम से कम तीन चार बार कहा अपने गलती के लिए क्षमा मांगी और उससे कहा की आप जो भी जुर्माना लेना चाहते हैं, मैं देने को तैयार हूँ। इतना करते करते मेरी पत्नी वापस आ चुकी थीं। शायद उस व्यक्ति ने मेरे पत्नी का लिहाज़ किया और मेरा पाँच सौ वापस कर दिया।
यदि मैं वहाँ पर आक्रामक होता और अपना प्वाइंट बताने पर लग जाता तो उसे वह समझ भी नहीं पाता और मेरे और मेरे परिवार को वह किसी स्तर तक नुक़सान पहुँचा सकते थे।
मैं वहाँ से ईश्वर को धन्यवाद देते हुए निकला की उन्होंने मेरी बुद्धि काम करने दी और मुझे प्रतिक्रिया से बचाया।
किसी भी नए जगह पर अपने आप को बचाकर रखना सबसे मुख्य बात होती है। अपना आचरण ठीक रखिए। कोई गलती हुई है तो तुरंत माफ़ी माँगिए। नहीं भी हुई है पर उनके निगाह में गलती है तो भी जस्टिफ़ाई करने में मत लगिए। सामने वाले व्यक्ति का ईगो शांत करिए। तब भी बात न बने तो जल्द से जल्द भाग जाइए।
स्वयं न मॉब लिंचिंग करिए और न किसी को इसके लिए समर्थन दीजिए। कई बार आप मेरी तरह फ़स गए तो आपको समझ भी नहीं आएगा की खुद को जस्टिफ़ाई कैसे करें।
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