सोमवार, 20 जून 2022

पहले मुर्गी आई या अंडा ?

 

पहले बीज आया या पेड़?? ये सवाल हम बचपन से सुनते आए हैं,,

वेद भगवान कहते हैं कि सृष्टि दो प्रकार की होती है,,योनिज और अयोनिज,,

  योनिज--यानी वे पेड़, पशु पक्षी मनुष्य किट कृमि जो माता के गर्भ से या बीज से या कलम से या किसी भी तरह से अपने वंश यानी अपनी योनि यानी जाती पर आश्रित रहते हैं,, जैसे वृक्ष योनि,, पशु योनि,, मनुष्य योनि आदि आदि,,

   अयोनिज --यह सृष्टि के आरंभ की दशा होती है,,जब शरीर माता पिता से न होकर सीधे डायरेक्ट होते हैं,, उस समय पृथ्वी के अलग अलग हिस्से का अलग अलग वातावरण होता है,,बिल्कुल मां के गर्भ जैसा,, उस समय पहली बार मुर्गे-मुर्गी ही होंगे सीधे,,, फिर उसके बाद उनसे अंडे, अंडे से मुर्गी क्रम चल पड़ेगा,,

प्रथम बार पेड़ ही होंगे सीधे,, फिर उनसे बीज, फिर उनसे पेड़ क्रम चल पड़ेगा,, ऐसे ही ऋग्वेद में एक शब्द आया है-- त्रिविष्टप,,,

इसका अर्थ विद्वान  तिब्बत बताते हैं,,,यानी मनुष्य की पहली उत्तपत्ति सीधी यहीं हुई,, औरत और पुरुष,, सामूहिक,, उसके बाद उनसे बच्चे,, फिर उनसे बच्चे,, और विश्व में फैलते रहे,,

कुछ उदाहरण लेते हैं--जैसे कूलर में पानी पड़ा हो कई दिन का तो उसमें #मच्छर और कीड़े हो जाते हैं,, हालांकि इस पानी में पहले से मच्छरों के बाप दादा नहीं थे,, लेकिन ऐसा वातावरण बन गया कि मच्छर की अयोनिज शुरुआत हो गई,, अब मच्छर से बच्चे उनसे फिर आगे आगे क्रम चलता रहेगा,,

जैसे कई दिन सिर को न धोया जाए तो सिर में #जुएं हो जाती हैं,, जबकि उनके मां बाप तो वहां थे नहीं पहले से,, सिर का वातावरण ऐसा बन गया कि जुवों की अयोनिज सृष्टि शुरू हो गई,, अब आगे यही लोग अंडे बच्चे करते रहेंगे,,

तीसरे उदाहरण में नाली को लेते हैं,, कई दिन साफ न करो तो #कीड़े हो जाते हैं जबकि क्या कीड़ो के बाप दादे वहां थे??बिल्कुल नहीं,, यह तो वातावरण बना ऐसा कि वे हो गए,, अब आगे कीड़े कीड़े पैदा करते रहेंगे,,

चौथे उदाहरण में मकड़ी ले लो,, घर में नमी के मौसम में  मकड़ियों की खूब पैदाइश होती है जबकि नए मकान में पहले से तो मकड़ी थी नहीं,, फिर बाद में मकड़ी अंडे देती रहती है और योनिज सृष्टि चल पड़ती है,,

ऐसे ही सैकड़ो उदाहरण दिए जा सकते हैं लेकिन समझदार को इशारा काफी,,पहले मुर्गी ही आई अंडे बाद में आए,, पहले पेड़ ही आए बीज बाद में आए,, ऐसे ही सभी जीव जंतुओं का समझना चाहिए,,

इसीलिए सनातन वैदिक धर्म में धरती या प्रकृति को #मां माना है,,और  परमेश्वर को पिता कहकर पुकारा गया है,, क्योंकि प्रथम में सब जीव,सब पेड़ पौधे, उस परमेश्वर के सहयोग से सबकुछ इसी धरती माँ से डायरेक्ट पैदा होते हैं,,,

यहां एवोल्यूशन के सिद्धांत को मानने वालों के कॉमेंट पे कोई चर्चा नहीं की जाएगी,,जो डार्विन को अपना  फूफा और अपने पुरखों को बंदर मानते हैं वे चाव से मानें,,
या कोशिका से जीवन की शुरुआत हुई,वे भी मानते रहें हमें कोई आपत्ति नहीं,,

ॐ श्री परमात्मने नम:        *सूर्यदेव*

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