रविवार, 27 मार्च 2022

आत्मा से तृप्त

 

*पसंद उसे कीजिए,*
*जो आप में परिवर्तन लाए ।* 
*वरना प्रभावित तो* 
*मदारी भी कर लेते हैं ।*
 

*दिल्ली बस स्टैंड पर बैठा मैं पंजाब आने वाली बस का इंतजार कर रहा था। अभी बस काउंटर पर नही लगी थी।*

*मैं बैठा हुआ एक किताब पढ़ रहा था। मेरे को देखकर कोई 10 एक* *साल की बच्ची मेरे पास आकर* *बोली, "बाबू पैन ले लो,10 के चार दे दूंगी। बहुत भूख लगी है कुछ खा लूंगी।"*

*उसके साथ एक छोटा-सा लड़का भी था, शायद भाई हो उसका।*

*मैंने कहा: मुझे पैन तो नहीं चाहिए।   *पर उसका जवाब इतना प्यारा था,* *"उसने कहा, फिर हम कुछ खाएंगे कैसे ?"*

*मैंने कहा: मुझे पैन तो नहीं चाहिए पर तुम खाओगे कुछ जरूर।*

*मेरे बैग में बिस्कुट के दो पैकेट थे, मैने बैग से निकाल एक-एक पैकेट दोनों को पकड़ा दिया। पर मेरी हैरानी की कोई हद ना रही जब उसने एक पैकेट वापिस करके कहा,"बाबू जी! एक ही काफी है, हम बाँट लेंगे"।*

* मैं हैरान हो गया जवाब सुन के !*
*मैंने दुबारा कहा: "रख लो दोनों , कोई बात नहीं।"*

*फिर आत्मा को झिझोड़ दिया उसके के जवाब ने। उसने कहा: "तो फिर आप क्या खाओगे"?*

*मैंने अंदर ही अंदर अपने आप से कहा कि ये होते हैं आत्मा के तृप्त लोग।*

*बेशक कपड़े होण मैले,*
*पर इज्जत होवे कजी।*
*ढिडों बेशक भुखा होवे,* 
*पर रूह होवे रज्जी।*                                     
     *अपने देश के ही संस्कार हैं ये, गरीब हैं तो क्या हुआ !!*

_________🌱_________
*शनि,रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...*    👉🏼
https://chat.whatsapp.com/EAnOtFF2dwd7c2ABRvpBNe
-------------🍂-------------
  telegram ग्रुप  ...👉🏼
https://t.me/joinchat/z7DaIwjp8AtlNzZl
______🌱_________
Please Follow...
https://dulmera.blogspot.com/

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य