दो दोस्त थे, दोनों एक बार एक चर्च के सामने से गुजर रहे थे। एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से पूछा कि यार ये बताओ कि क्या हम प्रार्थना करते हुए सिगरेट पी सकते हैं? दूसरे दोस्त ने कहा कि बिल्कुल नहीं। प्रभु को याद करते हुए सिगरेट को पीना पाप है। उसका दोस्त नहीं माना, उसने कहा कि पादरी से पूछ कर आओ।
दोस्त चर्च के भीतर गया और उसने पादरी से पूछा कि फादर क्या हम प्रार्थना करते हुए सिगरेट पी सकते हैं?
पादरी ने कहा, “नहीं मेरे बच्चे। प्रार्थना के दौरान सिगरेट नहीं पीनी चाहिए। ये पाप होगा।”
पादरी की बात सुन कर वो दोस्त मुस्कुराया और उसने कहा देखा मैंने क्या कहा था?
दूसरे दोस्त ने पहले से कहा, "रुको। अब मैं पूछता हूं।"
दूसरा दोस्त उसी पादरी के पास गया और उसने पूछा, फादर एक सवाल दिल में है, क्या मैं पूछ सकता हूं? पादरी ने कहा, "हां, मेरे बच्चे, पूछो।"
उसने पूछा, फादर क्या मैं सिगरेट पीते हुए प्रभु की प्रार्थना कर सकता हूं?
पादरी ने दोनों हाथ फैला कर कहा, हां मेरे बच्चे। प्रार्थना के लिए कोई समय नहीं होता। तुम जब चाहो प्रार्थना कर सकते हो, प्रभु को याद कर सकते हो।
अब आप देखिये पादरी ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। उसने एक से कहा कि प्रार्थना के दौरान सिगरेट नहीं पीनी चाहिए, दूसरे से कहा कि सिगरेट पीते हुए प्रार्थना कर सकते हो। बात एक थी, मसला भी एक था। लेकिन नतीजे दो थे।
कामयाबी के लिए जरुरी ये नहीं कि आप क्या कह रहे हैं, जरुरी होता है कि कैसे कह रहे हैं। इसलिए किसी का काम बन जाता है, किसी का काम अटक जाता है। आप कुछ भी सोच सकते हैं, लेकिन मुझे हमेशा लगता है कि हम किस वक्त किस तरीके से खुद को प्रस्तुत करते हैं, ये सबसे अहम होता है। अंग्रेजी में इसे टाइमिंग कहते हैं। टाइमिंग अर्थात सही समय पर सही तरीके से अपनी बात को रखना।
जीवन में हमें यह बात सदैव स्मरण रखनी चाहिए।
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