*चिन्तन के पल...*
एक पुराना सा किस्सा है जिसे रूसी किम्वदंती बताया जाता है। संभवतः उस दौर की कहानी होगी जब कम्युनिस्ट शासन आम किसानों की जमीनें छीनने के लिए उन्हें पकड़-पकड़ कर जेल में बंद कर रहा था। अपनी जमीनों पर से अधिकार न छोड़ने वाले कई ऐसे किसानों की साइबेरिया जैसी जगहों पर नाज़ियों जैसे कंसंट्रेशन कैंप में भेजे जाने से मौत भी हुई थी। ऐसी ही एक जेल में एक युवक बंद था जब उसके पास उसके पिता की चिट्ठी आई। उसमें लिखा था कि आलू बोने का मौसम हो चला है। मैं बूढ़ा हो गया हूँ, उतना काम नहीं कर पाता। अगर तुम जेल में न डाल दिए गए होते, तो तुम भी मेरी मदद करते, लेकिन मैं अकेला ही काम पूरा करने की कोशिश करूँगा।
चिट्ठी बेटे को मिले कुछ ही समय हुआ था कि एक दिन पुलिस पूरे दल-बल के साथ बूढ़े बाप के घर आ धमकी। उन्होंने पूरे इलाके को घेर लिया। बूढ़े से उसके खेतों का रास्ता पूछा और वहां पहुंचकर लगे इधर-उधर खुदाई करने। थोड़ी ही देर में पूरा खेत खोद डाला गया था। आखिर खीजकर पुलिस कप्तान ने बूढ़े को एक चिट्ठी थमाई और कुछ नहीं मिला कहकर चला गया। बूढ़े ने चिट्ठी खोली तो बेटे की चिट्ठी थी जिसमें लिखा था, “खेत हरगिज मत खोदना। विद्रोह के लिए इकठ्ठा किये हथियार मैंने खेतों में दबाये हैं।” थोड़े दिन बाद जेल से बेटे की दूसरी चिट्ठी आई। इस बार लिखा था, “उम्मीद है खेत खोद डाले गए होंगे। जेल से मैं इतनी ही मदद कर सकता था।”
~~
आप इसे “थिंकिंग आउट ऑफ़ द बॉक्स” कह सकते हैं। जो स्रोत या संसाधन आपके पास नहीं हैं, उनके बारे में सोचकर परेशान होने से बेहतर है कि “जुगाड़ टेक्नोलॉजी” का प्रयोग करें। सुलझ न सके, ऐसी कोई समस्या नहीं होती।
_________🌱_________
*शनि,रवि-सोम प्रेरक प्रसंग । यदा कदा तत्कालीन प्रसंग - स्वास्थ्य - हास्य ...* 👉🏼
https://chat.whatsapp.com/GgDVrNlKNNr7ogKyP4By6U
-------------🍂-------------
telegram ग्रुप ...👉🏼
https://t.me/joinchat/z7DaIwjp8AtlNzZl
______🌱_________
Please Follow...
https://dulmera.blogspot.com/
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें