नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की !!
जन्माष्टमी ..या रामनवमी
हम आप ( केवल पचास साठ वर्ष पूर्व तक) अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे अब मनाने लग गये हैं और उससे सनातन हिन्दू धर्म को कोई समस्या नहीं है बस अपने जन्मदिन को भी हम ईश्वर का श्रवण करें और उसका ही मनन ।
क्या कारण था हमारे आपके मां पिताजी के समय तक जन्माष्टमी रामनवमी ( तथा अन्य देवताओं) की तिथियाँ ही धूम धाम से मनायी जाती थी ?
इसका कारण था कि हमारे मां पिताजी के समय तक सभी सनातन हिन्दू धर्मी को यह पता था कि हम मनुष्यों का जन्म कर्म वासना के आधार पर होता है ॥ अतः कोई बड़ी घटना नहीं क्योंकि जब तक कर्म वासना बनी रहेगी जन्म मरण का खेल चलता रहेगा ।
वहीं श्री हरि नारायण स्व इच्छा से अवतरित होते हैं । जन्माष्टमी और रामनवमी श्री हरि के कर्म वासना के कारण नहीं बल्कि उनकी स्व इच्छा से शरीर धारण के पीछे होती है अतः हमारे लिये परम उत्साह का समय ।
जन्माष्टमी का आध्यात्मिक पक्ष :
द्वापर अर्थात् दो नाव पर पैर रखना और संकंट मोल लेना ।
द्वापर अर्थात् संशय ।
द्वापर अर्थात् जब सनातन धर्म पर संशय । ईश्वर पर संशय । आत्मा ब्रह्म की एकता पर संशय । संत महात्माओं पर संशय ।
द्वापरांत अर्थात् संशय के अन्त का समय ।
और वही जन्माष्टमी आती है जब द्वापर का अंत होने वाला ही होता है ।
वसुदेव अर्थात् शुद्ध अंतःकरण । देवकी अर्थात् पवित्र बुद्धि । अंतःकरण के पेट में नहीं बल्कि पवित्र बुद्धि जो कि अंतरंग है के गर्भ से श्री भगवान का अवतरण होता है ।
पूतना अर्थात् अविद्या । कंस अर्थात् हिंसक । इत्यादि इत्यादि ।
पौराणिक पक्ष:
पृथिवी के उपर पेड़ पहाड़ का बोझ नहीं होता । पेड़ पहाड़ इत्यादि पृथ्वी के अवयव हैं । पृथ्वी के उपर घमंड का बोझ पड़ता है । पृथ्वी घमंड का बोझ नहीं झेल पाती ।
जब घमंड का बोझ पड़ता है तब रजोगुण का चैतन्य तमोगुण का चैतन्य रूद्र , सर्व दैवीय संपदा के राजा इंद्र , श्री हरि नारायण जो कि सत् गुण के सागर क्षीरसागर में रहते हैं के पास जाकर पृथ्वी के उपर विचरण कर रहे घमंडिया गठबंधन कंस जरासंध दुर्योधन इत्यादि के नाश के लिये प्रार्थना करते हैं । श्री हरि नारायण कहते हैं कि ठीक है कुछ उपाय करता हूँ ।
भगवान के द्वारापाल जय विजय भी घमंडी हो गये थे और एक दिन लक्ष्मी जी को ही अंदर जाने से रोकने लगे । बहरहाल श्री भगवान ने कहा कि अभी मैं कुछ नहीं करूँगा क्योंकि यह पक्षपात लगेगा परन्तु इनकी ( जय विजय की ) आदत ख़राब हो चुकी है और यह सब घमंडिया हो चुके हैं अतः संत महात्माओं का भी अपमान करेंगे और मैं संत महात्माओं का अपमान सहन नहीं करूँगा ।
वही हुआ घमंडिया जय विजय एक दिन सनत कुमारों को भी रोक दिये और सनत कुमारों ने शाप दे दिया कि जाकर राक्षस हो जाओ । और उनके प्रार्थना करने पर वरदान दे दिया कि ठीक है श्री हरि नारायण ही कि तुम्हारी मुक्ति करेंगे अतः जन्माष्टमी ।
सनातन हिन्दू धर्म के नाश का दुःस्वप्न देखने वाले घमंडिया गठबंधन के समूल नाश के लिये हम इस जन्माष्टमी को संकल्प लें और हम सब अर्जुन बनकर अपनी बुद्धि को नारायणाकार करके शत्रुओं पर जैसे भी हो सके , जितना भी हो सके प्रहार करें । - राज शेखर जी कहिन
*नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की 🙏🌷🙏*
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